कोलकाता: बांग्लादेश के रास्ते भारत भेजे जाने वाले फेक (नकली) इंडियन करेंसी यानी एफआइसीएन की जांच के लिए बॉर्डर सिक्युरिटी फोर्स (बीएसएफ) ने विशेष पहल की है. नकली नोटों के पहचान के लिए बीएसएफ ने पूर्वी भारत के प्रत्येक बॉर्डर आउटपोस्ट पर डिटेक्शन मशीन लगाने की योजना बनायी है. योजना के तहत प्रथम चरण में चार आउटपोस्ट पर मशीन लगेंगे. बाकी बचे सभी आउटपोस्टों पर डिटेक्शन मशीन को लगाने की योजना है. यह जानकारी सीमा सुरक्षा बल पूर्वी भारत के एडिशनल डीजी(इ) बीडी शर्मा ने दी. नकली नोटों की तस्करी को रोकने के लिए मीटिंग हुई थी. रोक लगाने के लिए ज्वाइंट टास्क फोर्स की गठन करने की मांग की गई थी,लेकिन इसका गठन नहीं हो सका है.
मालदा नकली नोटों का हब
उन्होंने बताया की पूर्वी भारत में 70 फीसदी तस्करी के मामले को राज्य के छह जिलों में अंजाम दिया जाता है. इनमें उत्तर 24 परगना, दोनों दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, नदिया व मालदह जिले शामिल है. इन जिलों से मानव,नकली नोटों,डर्स व जानवरों की तस्करी की जाती है. तस्करी के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए बीएसएफ लगातार पेट्रोलिंग करती है. मालदह को नकली नोटों का हब बताया.
सीमा पर लगेगा बाजार
उन्होंने बताया कि भारत बांग्लादेश में उपजने वाले कृषि पदार्थो को बढ़ावा देने के लिए पूर्वी क्षेत्र के 32 सीमावर्ती स्थानों पर बाजार लगाने की योजना है. इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आवेदन किया गया था. इस कार्य के लिए हमें अब सीएम की मंजूरी मिल गयी है. इसी महीने राज्य के चार सीमावर्ती स्थानों पर बाजार लगायी जायेगी.
श्री शर्मा ने बताया कि राज्य में सीमावर्ती क्षेत्र में 12 बटालियन व कुछ बॉर्डर आउट पोस्ट के निर्माण के लिए सीमा सुरक्षा बल को करीब 82 एकड़ जमीन की जरूरत है. इसके लिए उन्होंने 30 अगस्त को मुख्य सचिव संजय मित्र के साथ एक बैठक की थी. बैठक के दौरान उन्होंने 82 एकड़ जमीन देने से इनकार कर दिया, लेकिन उनके इस मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है.
सीमा पर मौत रोकने की पहल
उन्होंने बताया कि मौत चाहे किसी की भी हो काफी दर्दनाक होता है. भारत- बांग्लादेश सीमा पर गोलाबारी कम करने के लिए विशेष पहल की गयी है. इसके लिए सीमा पर अब इंसास गन के बजाय पंप एक्शन गन (पीएजी) से फायरिंग की जा रही है. प्रत्येक बॉर्डर आउट पोस्ट के जवानों को करीब दो पीएजी दिया गया है. भारत बांग्लादेश सीमा पर सेना को ऐसे करीब 820 पीएजी बन्दुक दिये गये है. इससे फायरिंग करने पर दूसरे को कम से कम आघात पहुंचती है. इसके उपयोग से सीमा पर होने वाले मौत के मामलों में गिरावट दर्ज की गयी है. श्री शर्मा ने बताया कि 14 से 19 सितंबर तक भारत व बांग्लादेश के सीमावर्ती डीजी स्तर पर एक बैठक हुई थी. जो ढाका में संपन्न हुई.