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सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की निगरानी के लिए तंत्र नहीं

कोलकाता. केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्रलय में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि सामाजिक सुरक्षा योजनाआंे में अपने खर्च की निगरानी करने के लिए भारत के पास कोई तंत्र नहीं है, जिसके चलते इसका दोहराव हो रहा है. केंद्रीय भविष्य निधि के अतिरिक्त आयुक्त वी विजयकुमार ने यहां इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित […]

कोलकाता. केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्रलय में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि सामाजिक सुरक्षा योजनाआंे में अपने खर्च की निगरानी करने के लिए भारत के पास कोई तंत्र नहीं है, जिसके चलते इसका दोहराव हो रहा है. केंद्रीय भविष्य निधि के अतिरिक्त आयुक्त वी विजयकुमार ने यहां इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर कितना खर्च कर रही है, उसका पता लगाने के लिए आज हमारे पास कोई तंत्र नहीं है.

उन्होंने केरल में राज्य और केंद्र से तीन या चार पेंशन हासिल कर रहे काजू कामगारों का उदाहरण देते हुए कहा कि यह मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि हमारे पास अवश्य ही एक ऐसी योजना होनी चाहिए, जिसके दायरे में सारी योजनाएं आयें, ताकि हम जान सकें कि दिये जा रहे फायदों का कोई दुरुपयोग हो रहा है या नहीं.उन्होंने कहा कि यहां तक कि देश में आज भी ऐसे लाखों लोग हैं, जिन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं मिल रही है. लेकिन हम अयोग्य लोगों को फायदा दे रहे हैं या एक ही व्यक्ति को अलग-अलग फायदा दे रहे हैं.

मेरा मानना है कि हमें एक उपयुक्त डेटाबेस रखना चाहिए और सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में डाल रहे पैसे का उचित निवेश करना चाहिए. अधिकारी के मुताबिक भारत को अन्य देशांे के साथ अपनी सामाजिक सुरक्षा योजनाआंे पर वार्ता के दौरान ऐसे सवालों का सामना करना होगा. उन्होंने कहा कि अन्य देशों से जब कभी हम बात करने जायेंगे, जैसे कि उदाहरण के लिए अमेरिका के साथ, पहला सवाल हमारे सामने सार्वभौम सामाजिक सुरक्षा का होगा. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार पैसे नहीं खर्च कर रही है. राज्य व केंद्र सरकार, दोनों ही सामाजिक सुरक्षा पर काफी खर्च कर रही हैं. उन्होंने कहा कि अब मौजूदा सरकार असंगठित क्षेत्र पर अधिक से अधिक ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रही है.

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