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अलग कानून बना सकती है सरकार

कोलकाता: वर्षो की लंबी लड़ाई का मीठा फल हॉकरों को जल्द ही मिलने वाला है. बहुप्रतिक्षित हॉकर कानून संसद में पास हो चुका है. अब राज्य सरकार की बारी है. राज्य सरकार को हॉकरों के प्रति अपनी नीति स्पष्ट करनी होगी पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार इस मुद्दे पर भी केंद्र […]

कोलकाता: वर्षो की लंबी लड़ाई का मीठा फल हॉकरों को जल्द ही मिलने वाला है. बहुप्रतिक्षित हॉकर कानून संसद में पास हो चुका है. अब राज्य सरकार की बारी है. राज्य सरकार को हॉकरों के प्रति अपनी नीति स्पष्ट करनी होगी पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार इस मुद्दे पर भी केंद्र के साथ कदम से कदम मिला कर चलने के लिए तैयार नहीं है. राज्य की तृणमूल सरकार हॉकरों के लिए अलग कानून बनाने पर विचार कर रही है. राज्य शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम के अनुसार विधानसभा के अगर अधिवेशन में इस बिल को पेश किया जायेगा.

हालांकि तीन-चार वर्ष पहले ही राज्य सरकार ने शहरी इलाकों में हॉकरों के लिए एक नीति तैयार की थी, पर उस नीति को पूरी तरह से कभी भी लागू नहीं किया गया. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद इस मुद्दे पर कई बार विचार विमर्श होने के बावजूद अभी तक नीति को लागू करने एवं कानून बनाने का कोई प्रयास नहीं किया गया.

पर संसद में बिल पास होने के बाद अब राज्य सरकार भी तत्पर हो गयी है. हॉकर संग्राम कमेटी के महासचिव शक्तिमान घोष के अनुसार पश्चिम बंगाल में लगभग 17 लाख हॉकर हैं, जिनमें से अकेले कोलकाता में ही दो लाख 75 हजार हॉकर हैं. कमेटी ने पिछली सरकार से भी हॉकर कानून तैयार करने का बार-बार आवेदन किया था, पर वाममोरचा सरकार ने ऐसा नहीं किया. वैसे पूर्व शहरी विकास मंत्री अशोक भट्टाचार्य का दावा है कि हम लोगों ने एक हॉकर नीति तैयार की थी. जिसे मंत्रीमंडल में मंजूरी भी मिल गयी थी, पर नयी सरकार ने उस पर विचार विमर्श करने के लिए एक कमेटी तैयार कर दी.

जिसके कारण हॉकर कानून अधर में लटक गया है. विलंब होने के बावजूद संसद में बिल के पास होने से राज्य के हॉकर काफी खुश हैं. कोलकाता के मेयर शोभन चटर्जी ने स्पष्ट कर दिया है कि हम लोग राज्य सरकार की नीति का अनुसरण करेंगे. संसद में बिल पास होने की खुशी में सोमवार को हॉकरों ने रानी रासमनी रोड से कॉलेज स्ट्रीट तक एक विजय रैली निकाली.

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