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बड़े कलाकारों को आगे आना होगा

कोलकाता: एक रेडियो जॉकी के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले मॉडल,कॉमेडियन, एंकर, अभिनेता व थियेटर आर्टिस्ट मंत्र ‘मुग्ध’ का मानना है कि भारत में नाटक के प्रति दर्शकों में काफी उत्साह है, जरूरत है उन्हें थियेटर तक खींच लाने की. इसलिए शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन जैसे बड़े नामों को कभी-कभी ही सही […]

कोलकाता: एक रेडियो जॉकी के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले मॉडल,कॉमेडियन, एंकर, अभिनेता व थियेटर आर्टिस्ट मंत्र ‘मुग्ध’ का मानना है कि भारत में नाटक के प्रति दर्शकों में काफी उत्साह है, जरूरत है उन्हें थियेटर तक खींच लाने की. इसलिए शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन जैसे बड़े नामों को कभी-कभी ही सही नाटक में आते रहना चाहिए. बेस्ट रेडियो जॉकी का अवार्ड जीतने वाले व सोनी पर प्रसारित होने वाले ‘कॉमेडी सर्कस’ के जरिये दर्शकों को लंबे समय से हंसा रहे मंत्र अपने आने वाली फिल्म ‘दिल पतंग’ में व्यस्त हैं.

शेक्सपीयर के नाटक ‘ट्वेल्फ्थ नाइट’ के हिंदी अनुवाद ‘पिया बहुरुपिया’ में महत्वपूर्ण किरदार अदा करने वाले मंत्र ने कोलकाता के जीडी बिड़ला सभागार में आठ सितंबर को होने वाले नाटक के मंचन से पहले विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की.

प्र: नाटक का शीर्षक ‘पिया बहुरूपिया’ क्यों रखा गया है?

उ: शेक्सपीयर द्वारा रचित वास्तविक नाटक ‘ट्वेल्फ्थ नाइट’ का उसके कथानक से कोई संबंध नहीं है. पहली बार चूंकि इसका मंचन क्रिसमस के 12वें दिन किया गया था. नाटक के हिंदी अनुवाद में एक किरदार दूसरे के वेष में आता रहता है इसलिए इसका शीर्षक पिया बहुरूपिया रखा गया है.

प्र: कोलकाता में नाटक के प्रति कितने आशांवित हैं?

उ: कोलकाता भारत की सांस्कृतिक राजधानी है. यहां के लोगों में संस्कृति व कला के प्रति खासा उत्साह है. पिया बहुरूपिया एक संगीतमय कॉमेडी है जो दर्शकों को लोट-पोट कर देती है. अगर कोई सिर्फ हंसने के लिए थियेटर में आता है तो यह उन्हें हंसाते-हंसाते रूलायेगी. लंदन में आयोजित शेक्सपीयर थियेटर फेस्टिवल के अलावा भारत के विभिन्न जगहों पर इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली है, कोलकाता में भी काफी पसंद की जायेगी.

प्र: देश में नाटक की स्थिति के बारे में क्या कहना हैं?

उ: अच्छे नाटक के लिए कहीं भी दर्शक मिल जाते हैं. जो दर्शक थियेटर नहीं जाते हैं उन्हें वहां खींचने के लिए बड़े नामों को नाटक में आते रहना चाहिए. इस परंपरा को नसिरुद्दीन शाह, रणदीप हुड्डा जैसे कलाकारों ने फिल्मों व नाटक में एक संतुलन बना रखा है. उनकी उपस्थिति से दर्शक आसानी से थियेटरों तक चले आते हैं.

प्र: फिल्मों में आपको को किस तरह के किरदार मिल रहे हैं?

उ: मैंने एक कॉमेडियन के रूप में काफी सफलता पायी है. कई बार एक कलाकार पर स्टिरियोटाइप का ठप्पा लग जाता है. मुङो इसी कारण कई फिल्मों में कॉमेडी किरदार का ऑफर मिला लेकिन स्क्रिप्ट पसंद नहीं आने के कारण मैंने इनकार कर दिया. मेरी आनेवाली फिल्म ‘दिल पतंग’ फाइनल स्टेज में है, जिसमें मैं लीड व सीरियस भूमिका निभा रहा हूं.

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