कोलकाता: सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी इन्फोसिस ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा है कि वह राजारहाट में प्रस्तावित उसके सॉफ्टवेयर विकास केंद्र को या तो सेज का दर्जा दे या फिर जमीन के लिए जमा की गयी अग्रिम राशि वापस करे. इन्फोसिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से […]
कोलकाता: सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी इन्फोसिस ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा है कि वह राजारहाट में प्रस्तावित उसके सॉफ्टवेयर विकास केंद्र को या तो सेज का दर्जा दे या फिर जमीन के लिए जमा की गयी अग्रिम राशि वापस करे. इन्फोसिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से कहा है कि उसे या तो हमें सेज का दर्जा देना चाहिए या वह पैसा वापस करना चाहिए जो उन्होंने जमीन की पेशगी के तौर पर दिया है.
उन्होंने कहा कि पिछली वाम मोरचा सरकार ने कंपनी से वायदा किया था कि वह इस परियोजना को सेज का दर्जा देगी. इसमें 15,000 रोजगार सृजन होने की संभावना थी, लेकिन मौजूदा सरकार ऐसा करने को तैयार नहीं है. यह राज्य में इन्फोसिस का पहला केंद्र होता. उन्होंने कहा कि सरकार यदि बदले तो भी नीतियां रहनी चाहिए. उक्त अधिकारी ने कहा कि इन्फोसिस ने राजारहाट में जमीन के लिए हिडको को 75 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. यह पूछने पर कि क्या इन्फोसिस ने परियोजना से हाथ खींचने का मन बना लिया है, उन्होंने कहा उन्हें उम्मीद है कि सरकार अपने विचार बदलेगी. इन्फोसिस के प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से सेज के दर्जे की मांग की है.
हिडको को नहीं मिला है इंफोसिस का पत्र : फिरहाद
शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने मंगलवार को कहा कि उनके विभाग की संस्था ‘हिडको’ को इन्फोसिस से कोई पत्र नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि बंगाल में मीडिया का एक धड़ा सत्तारूढ़ पार्टी व राज्य सरकार के खिलाफ अभियान चला रहा है. राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है. कुछ विपक्षी पार्टियां, जिनका कोई यहां आधार नहीं हैं, वह अफवाहों को तुल दे रही हैं. उन्होंने कहा कि राजारहाट में इन्फोसिस के लिए राज्य सरकार ने जमीन रखी है और कंपनी जब चाहे वहां निर्माण कार्य शुरू कर सकती है. इस योजना को सेज का दर्जा मिलेगा या नहीं, इस संबंध में उन्होंने कहा कि यह उनके विभाग के अंतर्गत नहीं पड़ता है. इस संबंध में आइटी मंत्री ही कुछ कह सकते हैं.
विपक्ष ने सरकार को घेरा
राजारहाट की जमीन को एसइजेड (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) घोषित करने या फिर जमीन की पेशगी के तौर पर दिये गये पैसे वापस करने की इन्फोसिस की मांग के बाद विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरा है. माकपा नेता व पूर्व सांसद सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि तृणमूल सरकार का मानना है कि सिंडिकेट के जरिये पैसे उगाही, पकौड़ी आदि बनाना ही उद्योग है. लिहाजा इन्फोसिस को लेकर उसने जो रवैया अपनाया हुआ है, उससे यही अपेक्षा की जा सकती है. उससे यह अपेक्षा बिल्कुल नहीं की जा सकती कि वह उद्योग जगत के हित के लिए कुछ करेगी.
उसके लिए केवल मेला, उत्सव ही सबकुछ है, इसलिए इन्फोसिस को यह चेतावनी देनी पड़ी है. कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार उद्योग जगत के विकास की व्यवस्था क्यों नहीं करती? यदि राजारहाट की उक्त जमीन को वह एसइजेड घोषित ही कर देती, तो क्या अनर्थ हो जाता. यदि इन्फोसिस भी पश्चिम बंगाल से चली जाती है, तो यह राज्य के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा. भाजपा नेता तथागत राय ने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री चाहती हैं कि राज्य में केवल बेरोजगार रहें, यदि किसी को बेहतर काम करना है तो उसे दूसरे राज्य में जाना होगा. वाम दलों ने भी वर्षो से यही रवैया अपनाये रखा. ममता बनर्जी ने इस रवैये को चरम सीमा पर पहुंचा दिया है. उनके इस रवैये से राज्य के लोगों की ही दुर्गति हो रही है.