फोटो है कोलकाता. आचार्य श्री 108 शांतिसागर महाराज की परंपरा के वर्तमान पट्टाचार्य जिनधर्म प्रभावक राष्ट्र गौरव आचार्य श्री 108 यशसागर महाराज का मंगलवार रात्रि में समाधि निधन हो गया. किशनगढ़ राजस्थान में 29 अप्रैल को उन्होंने आचार्यश्री से मुनि दीक्षा ग्रहण कर आत्मकल्याण का पथ प्रशस्त किया था. कोलकाता में वर्धमान संदेश कार्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों ने मुनिश्री के प्रति अपनी विनयांजलि समर्पित की. वर्धमान संदेश संपादक अजीत पाटनी ने बताया कि मुनिश्री यशसागर महाराज ने अपने स्वास्थ्य की प्रतिकूलता देखते हुए आचार्यश्री से सल्लेखनाव्रत धारण कर लिया था. उन्होंने पूरे भक्ति भाव व प्रसन्नचित्त होकर समस्त संघ के त्यागियों से क्षमा याचना भी की. मुनिश्री ने पूर्ण चैतन्य अवस्था में पंच परमेष्ठी का स्मरण करते हुए अपने प्राणों का विसर्जन किया. राजस्थान के किशनगढ़ में उनकी अतिंम क्रिया में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया. श्रद्धांजलि सभा में महावीर प्रसाद गंगवाल, धर्मेंद्र पाटनी, सुबोध पाटनी, ज्ञानेंद्र पाटनी, महावीर प्रसाद सेठी, चंद्र कुमार सरावगी, प्रकाशचंद कासलीवाल ने भी अपनी विनयांजलि समर्पित की. अंत मंे णमोकार महामंत्र के साथ दिवंगत आत्मा को सदगति प्राप्त होमने की कामना श्री वीर प्रभु से की गयी. अजीत पाटनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी.
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मुनि श्री यशसागर का समाधि निधन
फोटो है कोलकाता. आचार्य श्री 108 शांतिसागर महाराज की परंपरा के वर्तमान पट्टाचार्य जिनधर्म प्रभावक राष्ट्र गौरव आचार्य श्री 108 यशसागर महाराज का मंगलवार रात्रि में समाधि निधन हो गया. किशनगढ़ राजस्थान में 29 अप्रैल को उन्होंने आचार्यश्री से मुनि दीक्षा ग्रहण कर आत्मकल्याण का पथ प्रशस्त किया था. कोलकाता में वर्धमान संदेश कार्यालय में […]
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