कोलकाता: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति तथा हिंदी के जाने-माने उपन्यासकार विभूतिनारायण राय ने कहा है कि धर्मिनरपेक्षता ने ही भारत की एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखा है. श्री राय शुक्रवार को प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय में गांधी स्मृति व्याख्यान दे रहे थे. उनके व्याख्यान का विषय था- राज्य और सांप्रदायिकता. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान धर्मिनरपेक्ष देश नहीं था, इसीलिए वह टूट गया. जिन्ना ने जब जबरन उर्दू थोपनी चाही तो बांग्लाभाषियों ने उसका प्रतिरोध कर आंदोलन किया, जिसकी परिणति बांग्लादेश नामक स्वतंत्र देश के जन्म के रूप में हुई.
श्री राय ने कहा कि यदि भारत में हिंदी और देश के बीच किसी एक के चयन का प्रश्न हो तो वे हिंदी विश्वविद्यालय का कुलपति होने और हिंदी का लेखक होने के बावजूद देश का चयन करेंगे. उन्होंने वैसे यह भी कहा कि धर्मनिरपेक्षता को भारत के सर्वोच्च नेतृत्व ने तो स्वीकार किया, किंतु तृणमूल स्तर के लोगों ने नहीं किया. श्री राय ने कहा कि राज्य के पोषण व प्रोत्साहन के बगैर सांप्रदायिकता नहीं फल-फूल सकती. उन्होंने कहा कि वे खुद जब भारतीय पुलिस सेवा में थे तो उन्होंने देखा कि राज्य की एक एजेंसी पुलिस की सांप्रदायिकता फैलाने में बड़ी भूमिका रही है.
चूकि पुलिस में भर्ती होनेवाले अधिकतर लोग बहुसंख्यक समुदाय से आते हैं और उनके भीतर बचपन से ही मुसलिमों के खिलाफ विद्वेष भरा जाता है इसीलिए वे अल्पसंख्यकों के प्रति संवेदनशील नहीं रह पाते. कार्यक्रम का संचालन डॉ वेदरमण व धन्यवाद ज्ञापन डॉ तनुजा मजुमदार ने किया. अध्यक्षता प्रेसिडेंसी के राजनीति शास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ अनीक चटर्जी ने की. श्री राय ने प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ मालविका सरकार के साथ बैठक भी की. इस बैठक में हिंदी विश्वविद्यालय के कोलकाता केंद्र के प्रभारी डॉ कृपाशंकर चौबे भी उपस्थित थे.