कोलकाता. किसी भी भारतीय को अपनी पसंद के राजनीतिक दल के साथ जुड़ने का अधिकार हासिल है. चुनाव से पहले अपना फायदा-नुकसान देख बड़ी संख्या में नेता व कर्मी एक दल से दूसरे दल का रुख करते हैं, इसमें कोई बुराई भी नहीं है. संविधान ने सभी को इसकी छूट दी है. पर राजनीति का यह खेल राजनीतिक दलों के दफ्तरों और राजनेताओं के घरों में ही होता है. सरकारी दफ्तरों को इस राजनीतिक उठा-पटक से दूर रखा जाता है. लेकिन पश्चिम बंगाल में जो न हो जाये, वह कम है. बुधवार को माकपा के पार्षद मोहम्मद जसीमउद्दीन तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये. माकपा पार्षद के तृणमूल में शामिल होने की खुशी नेताओं व कार्यकर्ताओं में देखने को मिली. लेकिन उत्साह में ये लोग नियमों का उल्लंघन कर गये. माकपा पार्षद के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने का यह कार्यक्रम मेयर शोभन चटर्जी के दफ्तर में हुआ. मेयर का पद एक संवैधानिक पद है. इसलिए उनके दफ्तर में राजनीतिक गतिविधियों की इजाजत संविधान नहीं देता है. खुद मेयर ने माकपा पार्षद के गले में उत्तरीय डाल कर उनका तृणमूल कांग्रेस में स्वागत किया. इस अवसर पर डिप्टी मेयर फरजाना आलम, पार्षद, बोरो चेयरमैन व विधायक इकबाल अहमद एवं कई और पार्षद व अधिकारी मौजूद थे. इस बारे में पूछे जाने पर मेयर ने कहा कि उन्हें लक्ष्मण रेखा की जानकारी है. उन्हें पता है कि यह सरकारी दफ्तर है. यहां कितना बोलना चाहिए और क्या करना चाहिए. उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है.
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मेयर दफ्तर में माकपा पार्षद तृणमूल में शामिल
कोलकाता. किसी भी भारतीय को अपनी पसंद के राजनीतिक दल के साथ जुड़ने का अधिकार हासिल है. चुनाव से पहले अपना फायदा-नुकसान देख बड़ी संख्या में नेता व कर्मी एक दल से दूसरे दल का रुख करते हैं, इसमें कोई बुराई भी नहीं है. संविधान ने सभी को इसकी छूट दी है. पर राजनीति का […]
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