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विनिवेश के खिलाफ 19 सितंबर से हड़ताल

कोलकाता: कोल इंडिया लिमिटेड में विनिवेश के मुद्दे पर एक बार फिर केंद्र सरकार व ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों के बीच ठन गयी है. विनिवेश के खिलाफ कोल इंडिया के पांचों केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने मिल कर 19, 20 व 21 सितंबर को हड़ताल करने का फैसला किया है. यह जानकारी मंगलवार को सीटू समर्थित […]

कोलकाता: कोल इंडिया लिमिटेड में विनिवेश के मुद्दे पर एक बार फिर केंद्र सरकार व ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों के बीच ठन गयी है. विनिवेश के खिलाफ कोल इंडिया के पांचों केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने मिल कर 19, 20 व 21 सितंबर को हड़ताल करने का फैसला किया है. यह जानकारी मंगलवार को सीटू समर्थित ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव जीवन राय ने दी.

उन्होंने बताया कि मंगलवार को भी ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि कोयला मंत्री व कोयला मंत्रलय के अधिकारियों से मिलना चाहते थे, लेकिन अधिकारियों ने मिलने का समय नहीं दिया. इसके बाद सभी यूनियनों ने मिल कर सितंबर महीने में तीन दिवसीय हड़ताल करने का फैसला किया है. उन्होंने बताया कि बुधवार को सभी ट्रेड यूनियनों की ओर से कोयला मंत्रलय को हड़ताल के संबंध में नोटिस दे दी जायेगी. उन्होंने दावा किया कि विनिवेश के संबंध में सभी ट्रेड यूनियनों की एक राय है, इसमें किसी प्रकार का मतभेद नहीं है. सभी ट्रेड यूनियन मिल कर ही इस हड़ताल में हिस्सा लेंगी. उन्होंने बताया कि मंगलवार को ही हड़ताल का नोटिस देने की योजना थी, लेकिन अन्य यूनियनों ने अब बुधवार को नोटिस देने का फैसला किया है.

गौरतलब है कि कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने पिछले दिनों कहा था कि केंद्र सरकार इसी महीने में कोल इंडिया में पांच फीसदी विनिवेश की प्रक्रिया पूरी करना चाहती है. उन्होंने दावा किया था कि कोल इंडिया की पांच केंद्रीय ट्रेड यूनियनों में से तीन यूनियन विनिवेश पर राजी है. लेकिन ट्रेड यूनियन द्वारा नये सिरे अल्टीमेटम दिये जाने से स्पष्ट हो गया कि कंपनी में विनिवेश पर केंद्र सरकार व श्रमिक यूनियन के बीच कोई सहमति नहीं बनी है. अब इस महीने में कोल इंडिया में विनिवेश का लक्ष्य अब केंद्र सरकार प्राप्त नहीं कर पायेगी.

ज्ञात हो कि वर्ष 2010 में सबसे पहले कोल इंडिया में 10 फीसदी विनिवेश किया गया था, इसके माध्यम से केंद्र सरकार ने 15,199 करोड़ रुपये उगाहे थे. इसके बाद करीब 20 हजार करोड़ रुपये उगाहने की योजना बनायी थी, लेकिन श्रमिक यूनियनों के विरोध के आगे केंद्र सरकार को झुकना पड़ा था और केंद्र सरकार ने 10 फीसदी की बजाय पांच फीसदी विनिवेश करने का फैसला किया है, लेकिन श्रमिक यूनियन कंपनी में किसी प्रकार के विनिवेश के खिलाफ हैं.

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