पटना. पटना उच्च हाइकोर्ट ने बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जदयू विधायक दल के नेता के रूप में मान्यता देने के फैसले पर रोक लगा दी. उन्हें मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के स्थान पर विधायक दल का नेता चुना गया था.मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थक और जदयू विधायक राजेश्वर राज की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायधीश एलएन रेड्डी और न्यायमूर्ति विकास जैन की खंडपीठ ने यह आदेश दिया. न्यायालय इस मामले में अब आगामी बुधवार को सुनवाई करेगा.विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सात फरवरी को मांझी के स्थान पर जदयू के नये विधायक दल के नेता के रूप में नीतीश को मान्यता दी थी.खंडपीठ ने कहा, ‘हमारा अभिप्राय विधानसभा सचिव द्वारा जारी पत्र (नीतीश को विधायक दल का नेता चुनने की मान्यता) की वैधानिक स्थिति पर विचार करना है, ताकि राज्यपाल के निर्णय लेने में इस पत्र का कोई कानूनी महत्व नहीं रहे.’ राजेश्वर ने अपनी याचिका में सात फरवरी को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव द्वारा बुलायी गयी पार्टी विधायक दल की बैठक को अवैध ठहराने के साथ ही नीतीश कुमार को विधायक दल के नेता के रूप में मान्यता देने के विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री होने के नाते सदन के नेता के तौर मांझी द्वारा आगामी 20 फरवरी को विधायक दल की बैठक बुलाये जाने के बावजूद ऐसा किया गया.जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के पत्र के बाद विधानसभा के प्रभारी सचिव हरेराम मुखिया ने नीतीश को विधायक दल का नया नेता चुने जाने को लेकर गत सात फरवरी को एक पत्र जारी किया था.
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जदयू विधायक दल के नेता के रूप में नीतीश की मान्यता पर हाइकोर्ट ने रोक लगायी
पटना. पटना उच्च हाइकोर्ट ने बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जदयू विधायक दल के नेता के रूप में मान्यता देने के फैसले पर रोक लगा दी. उन्हें मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के स्थान पर विधायक दल का नेता चुना गया था.मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थक और जदयू विधायक राजेश्वर राज […]
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