कोलकाता: शिक्षा के अधिकार के तहत सभी बच्चों को पौष्टिक आहार मुहैया कराने की केंद्र सरकार की नीति स्कूलों के लिए सिरदर्द बनी हुई है. मिड डे मील खाने से हुई बच्चों की मौत की घटना के बाद स्कूल प्रशासन सकते में है.
जिन स्कूलों में खाना बाहर से बनकर आता है, अब वे स्कूल मील की डीआइ (डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल्स) द्वारा नियमित जांच कराने की मांग कर रहे हैं जिससे बच्चों तक अच्छा खाना पहुंच सके. कुछ स्कूल हेडमास्टरों का कहना है कि मिड डे मील के अलावा स्कूलों में पांचवीं से 12वीं तक के छात्रों को आयरन टॉनिक वितरित करने की केंद्र सरकार की योजना भी खटाई में पड़ गयी है. सरकारी व सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए आयरन टॉनिक के पैकेट तो पहुंच गये हैं, लेकिन स्कूल प्रशासन उन्हें हाथ लगाने से कतरा रहे हैं.
स्कूल हेडमास्टरों का कहना है कि कई अभिभावकों ने बच्चों को आयरन टॉनिक नहीं देने की हिदायत दी है. इसे देने से अगर बच्चों के स्वास्थ्य पर कोई असर पड़ा, तो उनके लिए मुसीबत बन जायेगी. अब उनकी स्थिति ऐसी हो गयी है जैसे आगे कुआं पीछे खाई.