कोलकाता : पूरे विश्व में रोजाना जन्म लेनेवाले 3800 बच्चे में से एक शिशु में कंजेनिटल हाइपोथायरायडिज्म की शिकायत रहती है, लेकिन इस बीमारी का प्रारंभ में ही पता चल जाये तो इसे ठीक किया जा सकता है. हालांकि भारत में यह अनुपात काफी अधिक है, क्योंकि यहां जन्म लेनेवाले प्रत्येक 1172 बच्चे में इस प्रकार की बीमारी देखने को मिलती है. यह जानकारी मंगलवार को एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के एचओडी प्रोफेसर डॉ शुभंकर चौधरी ने दी. मंगलवार को ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फर्मासिटिकल्स की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया था. इस मौके पर डा चौधरी ने बताया कि नवजात शिशुओं में थायराइड हार्मोन की कमी की वजह से यह बीमारी होती है, क्योंकि थाइराइड हार्मोन मस्तिष्क विकास के साथ-साथ संपूर्ण शरीर के विकास के लिए काफी जरूरी है. लेकिन अगर बीमारी का पहले पता चल जाये, तो गर्भावस्था में ही शिशु का इलाज किया जा सकता है. इस मौके पर डॉ रत्नाबली चक्रवर्ती सहित अन्य उपस्थित रहे.
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प्रारंभिक पहचान से रोका जा सकता है कंजेनिटल हाइपोथायरायडिज्म
कोलकाता : पूरे विश्व में रोजाना जन्म लेनेवाले 3800 बच्चे में से एक शिशु में कंजेनिटल हाइपोथायरायडिज्म की शिकायत रहती है, लेकिन इस बीमारी का प्रारंभ में ही पता चल जाये तो इसे ठीक किया जा सकता है. हालांकि भारत में यह अनुपात काफी अधिक है, क्योंकि यहां जन्म लेनेवाले प्रत्येक 1172 बच्चे में इस […]
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