फोटो है कोलकाता. भक्तों के लिए हैं भगवान की लीलाएं. लोक कल्याण के लिए ही भगवान लीलाएं करते हैं. उनका धरती पर अवतरण, असुरी प्रवृत्ति का दमन सब कुछ लोक कल्याण के लिए ही तो है. जब-जब धरती की व्यवस्था डगमगाने लगती है, तो भगवान अवतरित होकर पृथ्वी के भार को संतुलित करते हैं. वे अपने भक्तों को विपदा-संकटों से उबारते हैं. ये बातें शनिवार को श्री डीडवाना नागरिक सभा, कोलकाता द्वारा हीरक जयंती वर्ष परश्री वैकुंठनाथ मंदिर में आयोजित अष्टोत्तरशत श्रीमद्भगावत कथा के दौरान कथा व्यास पंडित श्री पुरुषोत्तम व्यास (डीडवाना) ने कहीं. उन्होंने कहा कि भगवान की समस्त लीलाओं में एक संदेश है. कभी बाल सखाओं के साथ माखन चुराना, तो कभी कालिया नाग का मर्दन करना, तो कभी गोपियों की मटकियों को फोड़ना सभी कुछ तो दिव्य है. भगवान की ये लीलाएं भक्ति भाव रखनेवाले भक्तों को आनंद देती है. आज की कथा में महाराजश्री ने गोवर्द्धन पूजा (अन्नकूट), कालिया नाग का मर्दन आदि प्रसंग का विस्तारपूर्वक वर्णन किया. मुख्य यजमान राजगोपाल-शर्मिला पसारी, दैनिक यजमान राधावल्लभ -भगवती देवी मुच्छाल, प्रसाद यजमान ओमप्रकाश-मंजू देवी बांगड़ सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे. अध्यक्ष अरुण प्रकाश मल्लावत, मंत्री हरीश तिवारी, कथा समिति के अध्यक्ष ईश्वर ध्यावाला के साथ संपत मांधना, शिवजी सेवग, प्रकाश पसारी, धर्मेंद्र जाजू, राजू मुच्छाल, सुनील मल्लावत, ललित माहेश्वरी व अन्य सदस्य आयोजन की सफलता में सक्रिय रहे.
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भक्तों के लिए हैं भगवान की लीलाए ं: पुरुषोत्तम व्यास
फोटो है कोलकाता. भक्तों के लिए हैं भगवान की लीलाएं. लोक कल्याण के लिए ही भगवान लीलाएं करते हैं. उनका धरती पर अवतरण, असुरी प्रवृत्ति का दमन सब कुछ लोक कल्याण के लिए ही तो है. जब-जब धरती की व्यवस्था डगमगाने लगती है, तो भगवान अवतरित होकर पृथ्वी के भार को संतुलित करते हैं. वे […]
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