कोलकाता : चिटफंड कंपनी सारधा समूह मामले को लेकर तृणमूल सरकार की मुश्किल लगातार बढ़ती जा रही है. इधर माकपा व कांग्रेस जैसे विरोधी दलों द्वारा लगातार इस मुद्दे को लेकर तृणमूल नेताओं को घेरा जा रहा है तथा धोखाधड़ी मामले में उनके भी शामिल होने का आरोप लगाया जा रहा है.
शुक्रवार को खुदीराम अनुशीलन केंद्र में आयोजित अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस कमेटी की बैठक में मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पार्टी के अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं के समक्ष रूबरू हुईं. चिटफंड ही बैठक का अहम मुद्दा बना. बैठक में तृणमूल कांग्रेस के ब्लॉक स्तर के आला नेता भी मौजूद रहे.
जानकारी के मुताबिक चिटफंड को लेकर तृणमूल के कुछ आला व निचले स्तर के नेताओं की भूमिका पर ऊंगली उठायी जा रही है. सारधा समूह मामले में शहरों साथ ही ग्रामीण लोगों के धोखाधड़ी के शिकार होने की बात ज्यादा सामने आयी है. हाल में पंचायत चुनाव है. कांग्रेस का साथ छोड़ने के बाद तृणमूल को दोहरी लड़ाई यानी वामपंथियों के साथ कांग्रेस को भी टक्कर देनी पड़ रही है.
इधर कई जगहों में भाजपा भी तृणमूल की आलोचना में पीछे नहीं हट रही है. जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को हुई बैठक में चिटफंड के मुद्दे पर सुश्री बनर्जी ने पार्टी के आला नेताओं से जनसंपर्क बढ़ाने का निर्देश दिया है. साथ ही राज्य में चिटफंड कंपनियों को लेकर पूर्ववर्ती वाम मोरचा सरकार व इसे रोकने में केंद्र सरकार के रवैये को भी जनता के सामने रखने की बात कही है.
ध्यान रहे कि बैठक के ठीक एक दिन पहले यानी विगत गुरुवार को चिटफंड के मुद्दे पर पहली दफा सुश्री बनर्जी ने जनसभा को संबोधित किया. जनसभा के दौरान भी उन्होंने चिटफंड मामले के लिए पूर्व वाम मोरचा सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में जितनी भी चिटफंड कंपनियों का जन्म हुआ, वे सब वाम मोरचा सरकार के शासनकाल में हुईं. सारधा समूह मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि चिट फंड कंपनियों को लेकर कानून बनाये जाने के बाद वे आम लोगों के सम्मुख हुईं.तृणमूल सरकार कथनी नहीं, बल्कि करनी में विश्वास रखती है. मुख्यमंत्री का दावा है कि चिट फंड कंपनियों पर नजरदारी रखने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार और आरबीआइ की है. सारधा समूह मामले को लेकर उनका राज्य सरकार पर आरोप लगाना बेतुका है.