कोलकाता: जूट कमिश्नर डॉ सुब्रत गुप्ता का कहना है कि जूट उद्योग को अगर विकास करना है, तो पैकेजिंग पर निर्भरता खत्म करनी होगी. इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा जूट उद्योग विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन मीडिया से बात करते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि भारतीय जूट उद्योग पूरी तरह पैकेजिंग उद्योग पर निर्भर करता है. अनाज व चीनी रखने के लिए जूट के बोरे का इस्तेमाल सरकार ने अनिवार्य कर रखा है.
इस वजह से जूट उद्योग पूरी तरह सरकार से मिलनेवाले ऑर्डर पर ही निर्भर हो गया है. इससे न तो उद्योग आगे बढ़ रहा है और न ही किसानों की हालत सुधर रही है. जूट की खेती से होनेवाला उत्पादन भी जस का तस है. 1980 में देश में 14 लाख टन जूट का उत्पादन हुआ था. 2014 में भी भारतीय किसानों ने 14 लाख टन जूट का ही उत्पादन किया है. पूरे देश का 70 प्रतिशत जूट बंगाल में पैदा किया जाता है. पर यहां भी पानी की कमी के कारण उत्पादन में भारी कमी आयी है. पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल फसल का उत्पादन कम हुआ है. इस वजह से बोरों की मांग भी कम हुई है.
श्री गुप्ता ने कहा कि इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए हमें केवल बोरे तैयार करने की मानसिकता से निकलना होगा. जूट क्षेत्र के उद्योगपतियों को जूट के विविध उत्पाद तैयार करने होंगे. जूट से कैरी बैग, शॉपिंग बैग, डिजाइनर बैग, यूटिलिटी बैग, फ्लोर कवरिंग, वाल कवरिंग, होम डेकोर व फर्निशिंग, फर्नीचर, ट्रे, लैंप, होटल प्रोडक्ट, फैशन इंडस्ट्री प्रोडक्ट आदि कई तरह के उत्पाद तैयार किये जा सकते हैं, जिनकी घरेलू बाजार के साथ-साथ विदेशी मार्केट में काफी मांग है. जूट के अन्य उत्पाद तैयार कर बांग्लादेश ने भारत को काफी पीछे छोड़ दिया है. हालांकि बांग्लादेश उत्पादन व बाजार दोनों के मामले में भारत से काफी पीछे है. जूट कमिश्नर ने बताया कि जूट का उत्पादन व गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हम लोग नये प्रयास कर रहे हैं. नयी तकनीक व नये उत्पाद पर जोर दिया जा रहा है. किसानों को उन्नत खाद, नयी तकनीक आदि उपलब्ध कराया जा रहा है.