कोलकाता: पशमीना से बने उत्पाद की दुनिया भर में भारी मांग है. पर मांग के अनुसार भारत में पशमीने का उत्पादन नहीं होता है. देश में केवल कश्मीर में एक छोटे स्तर पर पशमीना से बनी सामग्री तैयार की जाती है. पर यह उत्पादन घरेलू बाजार तक के लिए काफी नहीं है, जबकि विदेशों में पशमीना की भारी मांग है.
वहीं पड़ोसी देश नेपाल में उच्च क्वालिटी के पशमीने का अच्छा-खासा उत्पादन होता है, पर उसके पास भारत जैसा बाजार व इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है. इस स्थिति को देखते हुए दोनों देशों ने पशमीने के कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए एक-दूसरे से हाथ मिलाने का फैसला किया है.
मंगलवार को भारत चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक परिचर्चा को संबोधित करते हुए सिल्क एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष विक्रम तांतिया ने कहा कि इस क्षेत्र में व्यवसाय की काफी संभावना है. हमारे देश में पशमीना का उत्पादन होता है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो हम लोग नेपाली पशमीना भारत में लाकर इसे विदेशों में निर्यात करेंगे. इससे दोनों देशों के व्यवसायियों का भला होगा.
सिल्क एसोसिशन ऑफ नेपाल के अध्यक्ष शंकर पांड्या ने कहा कि नेपाल का सिल्क व पशमीना की क्वालिटी काफी बेहतरीन होती है. उत्पादन भी काफी होता है. अगर भारत व नेपाल के व्यवसायी मिल कर इसका यूरोप व अन्य देशों में निर्यात करें तो हम सब लाभान्वित होंगे. श्री पांड्या ने कहा कि हमारे यहां बेहद उत्तम क्वालिटी का ऊन होता है, ऊनी उत्पाद का बाजार तेजी से विकसित कर रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि नेपाली ऊनी उत्पाद अधिकतर हाथों से तैयार होता है. जिसकी मांग काफी बढ़ रही है. हम लोग चाहते हैं कि दोनों पड़ोसी देश के व्यवसायी इस क्षेत्र में मिल कर आगे बढ़ें. मौके पर मौजूद कोलकाता में नेपाल के कौंसुल जनरल चंद्र कुमार घिमिरे ने कहा कि नरेंद्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद से काफी बड़ा बदलाव आया है. उनके नेपाल के सफर ने दोनों देशों के रिश्ते में एक नयी उर्जा जगा दी है. हमारा देश चाहता है कि हर क्षेत्र में नेपाल और भारत के बीच पारस्परिक संबंध मजबूत हो. पशमीना समेत सभी प्रकार के ऊनी उत्पाद के क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यवसाय की जबरदस्त संभावना है.