जनता के लगभग 3000 करोड़ रुपये डकारनेवाली सारधा ग्रुप ऑफ कंपनीज के कारनामों का परदाफाश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश का पालन करते हुए सीबीआइ ने इस मामले में राज्य के परिवहन व खेल मंत्री मदन मित्र को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया. राजनीतिक हलकों में तहलका मचानेवाली इस घटना के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को सड़क पर उतरने का फैसला किया है. पार्टी आलाकमान व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर सीबीआइ के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए केंद्र को चुनौती दी है कि ‘अगर उनमें हिम्मत है, तो मुङो गिरफ्तार करके दिखायें.’ राज्य की अन्य राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि अब सुश्री बनर्जी को नैतिकता के आधार पर शीघ्र ही अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
कोलकाता: सारधा घोटाले की जांच में राज्य के परिवहन व खेल मंत्री मंत्री मदन मित्र को शुक्रवार को सीबीआइ ने चार घंटे की लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया. साथ ही सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन के वकील नरेश भालोटिया को भी सीबीआइ ने गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपियों को शनिवार को सीबीआइ अलीपुर कोर्ट में पेश करेगी.
गौरतलब है कि सारधा मामले में मदन मित्र के जुड़े होने का आरोप सीबीआइ बार-बार लगा रही थी. मदन मित्र के निजी सहायक बापी करीम से पूछताछ में भी जांच एजेंसी के अधिकारियों को परिवहन मंत्री के खिलाफ कई सबूत मिले थे. इसके बाद मदन मित्र को पूछताछ के लिए सीबीआइ दफ्तर बुलाया जा रहा था. लेकिन तबीयत खराब होने की जानकारी देकर वह इस पूछताछ से बच रहे थे.
सुबह 11.30 बजे से शुरू हुई पूछताछ सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार सुबह 10.55 बजे मदन मित्र सॉल्टलेक के सीजीओ कंप्लेक्स स्थित सीबीआइ दफ्तर पहुंचे थे. इसके बाद 11.30 बजे से उनसे पूछताछ शुरू की गयी. सीबीआइ अधिकारियों ने पहले चरण में उनसे डेढ़ घंटे तक पूछताछ की. इसमें सुदीप्त सेन से प्रोटेक्शन मनी के रूप में वह क्यों रुपये लेते थे? इन रुपयों का वह क्या करते थे? इसके अलावा भी कई बार उनके निजी सहायक अतिरिक्त रुपये लेने मिडलैंड पार्क स्थित सारधा दफ्तर जाते थे, इस सिलसिले में भी उनसे पूछताछ की गयी. लेकिन जवाब में हर बार मदन मित्र रुपये लेने के आरोप से इनकार करते रहे. उन्होंने कहा कि सुदीप्त सेन से उन्होंने पैसे नहीं लिये.
दूसरे चरण में सबूत दिखा कर हुई पूछताछ
सीबीआइ अधिकारियों का कहना है कि पहले चरण में मदन मित्र से लंबी पूछताछ की गयी. इसमें वह सभी आरोपों से इनकार करते रहे. इसके बाद दोपहर ढाई बजे से दूसरे चरण की पूछताछ शुरू हुई. यहां सीबीआइ अधिकारियों ने मदन मित्र से जो भी सवाल किये, सभी के सबूत उन्हें दिखाये. कभी वीडियो फुटेज तो कभी सबूत के तौर पर जब्त कागजात दिखाये गये. लेकिन सभी सबूत देखने के बावजूद मदन मित्र अपने ऊपर लगे आरोप से इनकार करते रहे. कई बार सीबीआइ अधिकारियों ने उनसे साफ-साफ जवाब देने को कहा, लेकिन वह इन्हें ‘बेबुनियाद आरोप ’ बताते रहे. इसके बाद सीबीआइ ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
अब तक जा चुकी हैं 76 जानें
अप्रैल 2012 में सारधा चिटफंड कंपनी घोटाले का मामला प्रकाश में आने के बाद से राज्य में हड़कंप-सा मच गया था और इसके निवेशक आज भी इससे उबर नहीं पाये हैं. सारधा चिटफंड घोटाला सामने आने के बाद से अब तक 76 लोगों ने आत्महत्या कर ली है. इसमें तो कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपने जीवन की पूरी पूंजी इसमें लगा दी थी. वे इस घोटाले को बरदाश्त नहीं कर पाये और मौत को गले लगाना ही उचित समझा. आत्महत्या करनेवालों में कुछ एजेंट भी हैं, जिनके माध्यम से लोगों ने कंपनी में निवेश किया था. घोटाले का खुलासा होने के बाद निवेशकों ने एजेंटों के घर व उनके परिजनों पर हमला करना शुरू कर दिया था, उनकी यातनाओं से तंग आ कर एजेंटों ने आत्महत्या कर ली.
मामले में अब तक 10 लोग हिरासत में
सारधा घोटाले में लिप्त होने के आरोप में सीबीआइ ने अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया है.
1. सुदीप्त सेन (सारधा प्रमुख)
2. देबजानी मुखर्जी (सुदीप्त सेन की सहायक)
3. कुणाल घोष ( निष्कासित तृणमूल राज्यसभा सांसद)
4. रजत मजुमदार (राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक)
5. देबव्रत सरकार (इस्ट बंगाल क्लब के पूर्व सदस्य)
6. संधीर अग्रवाल (व्यवसायी)
7. सदानंद गोगोई (असम के गायक व अभिनेता)
8. सृंजय बोस (तृणमूल के राज्यसभा सांसद)
9. मदन मित्र (राज्य के परिवहन मंत्री)
10. नरेश भालोटिया (सुदीप्त सेन के वकील)
मुख्यमंत्री दें इस्तीफा, सीबीआइ करे पूछताछ
करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ के राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्र को गिरफ्तार करने के बाद से ही राजनीतिक खेमे में काफी हलचल है. विपक्षी दलों ने परिवहन मंत्री की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. यहां तक की इस मसले को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी पूछताछ व इस्तीफे की मांग के सुर तेज हो गये हैं.
मदन की गिरफ्तारी होगी, यह सभी जानते थे. मुख्यमंत्री को भी यह पता था, इसलिए वह मदन मित्र को बचाने के लिए उन्हें सरकारी अस्पताल में रखने की व्यवस्था कर दी थी. कई और बहाने बनाये गये. इसके बावजूद इतने प्रयासों के वह सीबीआइ से बच नहीं सके. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सच्चई के प्रतीक के तौर पर दावा करती हैं. लेकिन दोषियों को उनके बचाने की कोशिश और फिर मदन मित्र की गिरफ्तारी ने ममता बनर्जी की सच्चई की छवि को धूल में मिला दिया है. यदि उन्हें थोड़ी-सी भी सच्चई है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. पूरी पार्टी को सीबीआइ से अपनी जांच कराने के लिए आगे आना चाहिए. अपना सम्मान बरकरार रख कर उन्हें अपने पद से हट जाना चाहिए.
-अधीर रंजन चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
माकपा की ओर से पहले ही कहा गया था कि सारधा कांड में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेताओं का नाम भी है. चिटफंड घोटाले में शामिल तमाम आरोपियों से पूछताछ और जरूरत पड़ने पर उनकी गिरफ्तारी की मांग भी की गयी थी. परिवहन मंत्री मदन मित्र की गिरफ्तारी पहले ही होनी थी. सारधा कांड की जांच में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पूछताछ हो. न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार यदि किसी को गिरफ्तार भी करना पड़े तो सीबीआइ उन्हें तुरंत गिरफ्तार करे. चाहे वह प्रभावशाली व बहुत बड़ा नेता ही क्यों नहीं हो. सारधा कांड की घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए ममता को इस्तीफा दे देना चाहिए. साथ ही सारधा कांड में शामिल तमाम दोषियों को सजा भी मिलनी चाहिए तथा अन्य चिटफंड कंपनियों पर भी लगाम कसी जाये.
-डॉ सूर्यकांत मिश्र, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता व माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य
सारधा कांड की जांच में परिवहन मंत्री व तृणमूल नेता मदन मित्र की गिरफ्तारी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस कांड में तृणमूल सरकार की कितनी भूमिका है. राज्य के एक कैबिनेट मंत्री की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मामले से अपना पीछा नहीं छुड़ा सकती हैं. सारधा कांड के तमाम दोषियों को सजा मिले. साथ ही पीड़ितों को मुआवजे की व्यवस्था की जाये.
-सीताराम येचुरी, सदस्य, माकपा पोलित ब्यूरो
वाममोरचा की ओर से पहले ही मांग की गयी थी सारधा कांड में जिन तृणमूल नेताओं का नाम सामने आ रहा है उनसे पूछताछ हो. आरोपियों की गिरफ्तारी हो. परिवहन मंत्री मदन मित्र की गिरफ्तारी से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार का असली चेहरा लोगों के सामने आ गया है. इस मामले में मुख्यमंत्री से भी पूछताछ हो.
-विमान बसु, राज्य में वाममोरचा के चेयरमैन
मदन मित्र की गिरफ्तारी तो पहले ही होनी थी. समझ में नहीं आ रहा है कि गिरफ्तारी में इतना विलंब क्यों हुआ. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी पूछताछ हो. सारधा कांड में शामिल हर गुनेहगार को सजा मिले.
-मोहम्मद सलीम, सांसद व माकपा नेता
‘2014 में भाग मदन भाग, 2015 में भाग मुकुल भाग और 2016 में भाग ममता भाग’ का उनका नारा सही साबित हो रहा है. ममता बनर्जी को अब रोबिन हुड नहीं, बल्कि ‘निबोर डूह’ यानी रोबिन हुड का उलटा कहा जाना चाहिए. वह गरीबों से लेकर अमीरों में बांटती हैं. मदन मित्र की गिरफ्तारी ने यह दिखा दिया है कि तृणमूल नेतृत्व सारधा घोटाले में पूरी तरह शामिल है और तार ममता बनर्जी तक पहुंच रहे हैं. ममता बनर्जी को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए.
सिद्धार्थ नाथ सिंह, बंगाल के प्रभारी, भाजपा
कौन गिरफ्तार हो रहा है, वह महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि इस मामले से जुड़े सभी दोषियों की गिरफ्तारी होनी चाहिए. जनता का पैसा लौटाया जाना चाहिए.
-बाबुल सुप्रियो, भाजपा सांसद
परिवहन मंत्री मदन मित्र की गिरफ्तारी के बाद सारधा कांड की घटना को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नैतिक रूप से इस्तीफा दे देना चाहिए.
-उदयन गुहा, फारवर्ड ब्लॉक के नेता
सारधा कांड में शामिल तमाम आरोपियों से भी जल्द पूछताछ हो. जरूरत पड़ने पर उन्हें गिरफ्तार किया जाये. चिटफंड कांड के पीड़ितों को इंसाफ मिलना चाहिए.
-अमिताभ चक्रवर्ती, एसयूसीआइ के नेता
सारधा चिटफंड कांड में राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्र को गिरफ्तार पहले ही कर लिया जाना था, लेकिन बीच में काफी बाधा उत्पन्न की गयी. इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी पूछताछ होनी चाहिए. साथ ही सारधा कांड के पीड़ित लोगों के मुआवजे की व्यवस्था जल्द से जल्द करायी जाये.
-पार्थ घोष, राज्य सचिव, भाकपा माले
सारधा चिटफंड घोटाले में परिवहन व खेल मंत्री मदन मित्र की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. राज्य मंत्रिमंडल का एक वरिष्ठ मंत्री घोटाले में गिरफ्तार हुआ है. उसके बाद नैतिक रूप से ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री के पद पर नैतिक रूप से रहने का अधिकार नहीं है. सारधा चिटफंड के मुख्य आरोपी भी गिरफ्तार हों तथा पीड़ितों को उनकी राशि वापस दी जाये.
-नवल किशोर श्रीवास्तव, परिवहन श्रमिक नेता