कोलकाता: रेलनगरी चितरंजन उम्दा किस्म के रेल इंजन बनाने के लिए देश भर में जाना जाता है. लेकिन इन दिनों यह रेलनगरी नशाखुरानों की नगरी बनती जा रही है. पुलिस रिकार्ड में चितरंजन का मंडलपाड़ा नशाखुरानों का अड्डा है. यह एक ऐसी बस्ती है, जहां लगभग हर घर में एक व्यक्ति नशाखुरानी गिरोह से संबंध रखता है.
यहां घर-घर में नशाखुरानी का नुस्खा सिखाया जाता है. रेलवे सुरक्षा बल के एक अधिकारी की माने तो जहरखुरानी के मामले में गिरफ्तार बदमाश अक्सर इसी इलाके के होते हैं. बड़ों के साथ छोटे-छोटे बच्चों को नशाखुरानी के शातिर तरीके के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. नाम नहीं छापने की शर्त पर रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि इस इलाके में करीब पांच सौ लोग सीधे तौर पर इस काम से जुड़े हुए हैं. इस इलाके का कुछ भाग जहां झारखंड में पड़ जाता है, वहीं अधिकतर इलाका बंगाल में पड़ता है. दो राज्यों का सीमावर्ती इलाका होने के कारण अपराधी इसका फायदा उठाते हैं.
ये अपराधी बंगाल कि सीमा के अंदर ट्रेनों में अपराध करते हैं तो झारखंड भाग जाते हैं और यदि झारखंड इलाके में अपराध करते हैं तो बंगाल में भाग आते हैं. वही इस तरह के अपराधी आसनसोल का जामपाड़ा , दक्षिण 24 परगना का देउला इलाका में भी इनका स्थायी अड्डा है. इनका नेटवर्क राष्ट्रीय स्तर पर काम करता है. उत्तर प्रदेश का मुगलसराय और मिर्जापुर से लेकर बिहार के गया में इनके लोग सक्रिय हैं.