कोलकाता: बेटी की शादी करवाना आसान बात नहीं होती है. खास कर जिस लड़की के सिर पर पिता का नाम न हो और जिसकी मां देह व्यापार करके अपना जीवन व्यतीत करती हो. ऐसे बच्चियों का जीवन संवारना, उसका घर बसाना और भविष्य सुरक्षित करना यह किसी चुनौती से कम नहीं. इसी चुनौती का सामना करके सामाजिक संस्था जनशिक्षा प्रचार केंद्र एक अच्छी पहल कर रही है.
संस्था ने दो हफ्ते पहले ही एक ऐसी युवती का विवाह करवाया, जिसकी मां यौनकर्मी है और उसे बेसहारा छोड़ दी थी. अब वह अपने पति के साथ एक गृहस्थ जीवन जी रही है. यह नवविवाहित दंपती हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहा है.
इससे दो वर्ष पहले भी संस्था ने एक यौनकर्मी की बेटी मेनका चटर्जी का भी घर बसाया था. इन दिनों वह अपने पति और अपने बेटे के साथ गृहस्थ जीवन में व्यस्त और खुशहाल है. वह अपने अतीत को भूल से भी याद नहीं करना चाहती और अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा और परिवेश देना चाहती है.
जनशिक्षा प्रचार केंद्र के सचिव असीम मुखर्जी कहते हैं : पिछले कुछ सालों में उन्होंने तकरीबन तीन से चार लड़कियों का विवाह करवाया है.
वे कहते हैं कि बच्चे को अच्छा जीवन देने के लिए उन्हें अच्छे माहौल में रखना उतना ही जरू री होता है. आज भी बंगाल में कुछ ऐसे परिवार हैं, जो लड़कियों को बोझ से कम नहीं समझते हैं. कहीं ग्रामीण स्त्रियां हैं जो गरीबी के कारण दुखी रहती है उनके पिता उन्हें शिक्षा देने योग्य नहीं होते तो कहीं ऐसी मां ये हैं जो अपने बाबू से बचाने के लिए अपने बच्चे को सुरक्षा नहीं दे पाती हैं. इन सभी मुश्किलों से दूर करने के लिए जनशिक्षा प्रचार केंद्र अपनी पूरी कोशिश कर रही है.
जनशिक्षा प्रचार केंद्र ने महिलाओं को सुरक्षा व शिक्षा देने में हमेशा ही अपना पूरा योगदान दिया है. पिछले 42 वर्षो से चल रहा यह केंद्र आज बंगाल के कई जिलों में स्थापित है. छोटे-छोटे गांवों व रेड लाइट इलाके की असहाय बच्चियों के भविष्य को संवारना संस्था लक्ष्य है. असीम ने बताया कि वह हमेशा ही जनजातीय और रेड लाइट एरिया में रह रहे बच्चों केभविष्य को उज्जवल बनाने का प्रयास करते रहे हैं.