कोलकाता: इस बार पंचायत चुनाव से पहले ही तृणमूल कांग्रेस ने रिकार्ड बना लिया है. इससे पहले वर्ष 2003 के पंचायत चुनाव के दौरान बगैर प्रतिद्वंद्विता चुनाव में विजयी रहनेवाले उम्मीदवारों की तुलना में इस बार ऐसे उम्मीदवारों की संख्या काफी ज्यादा है. पूर्व वाम मोरचा सरकार के शासनकाल में हुए पंचायत चुनावों में वर्ष 2003 में बगैर प्रतिद्वंद्विता चुनाव में जीत हासिल करनेवाले उम्मीदवारों की संख्या करीब 6,800 थी, जो कुल सीटों का करीब 11 प्रतिशत हिस्सा था.
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार पंचायत चुनाव के पहले चरण के मतदान में नामांकन पत्र वापस लेने के दौरान बिना प्रतिद्वंद्विता के विजयी रहने वाले उम्मीदवारों की संख्या करीब 5,814 है. जबकि द्वितीय चरण के मतदान के लिए नामांकन पत्र वापस लेने पहले ही यह संख्या लगभग 596 तक पहुंच गयी है और अंतिम चरण के मतदान के लिए नामांकन पत्र वापस लेने के पहले बिना प्रतिद्वंद्विता जीत हासिल करनेवाले उम्मीदवारों की संख्या एक हजार से भी ज्यादा है.
चुनाव आयोग सूत्रों के अनुसार द्वितीय व तृतीय चरण के तहत होनेवाले चुनाव के लिए नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तारीख तक बगैर प्रतिद्वंद्विता जीत हासिल करनेवाले उम्मीदवारों की संख्या आठ हजार से भी ज्यादा पहुंच जायेगी, जो बंगाल में हुए पंचायत चुनाव के दौरान ऐसा पहली दफा होगा.
सरकार पर हमला जारी
इस बार पंचायत चुनाव के पहले होने वाली स्थिति को लेकर विपक्षी दलों का लगातार कटाक्ष जारी है. राज्य में वाम मोरचा के चेयरमैन विमान बसु ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नेतृत्ववाली तृणमूल सरकार के शासनकाल के दौरान पंचायत चुनाव एक मजाक बन गया है.
वहीं, भाजपा के कुछ आला नेताओं ने भी नामांकन पत्र वापस लेने के लिए विपक्षी दलों के उम्मीदवारों पर बनाये जानेवाले दबाव का विरोध किया है. इधर, प्रदेश कांग्रेस के आला नेता मानस भुईंया का कहना है कि राज्य में गणतांत्रिक पद्धति पर खतरा बन गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार आम लोगों से भयभीत है, यही वजह है कि कांग्रेस उम्मीदवारों को नामांकन पत्र जमा करने में बाधा दिया गया और नामांकन पत्र वापस लेने के लिए धमकाया जा रहा है.