कोलकाता: चिट फंड संस्थाओं पर अंकुश लगाने के लिए नया कानून लाने की बात करके राज्य सरकार मामले को अधिक उलझाना चाहती है. नया कानून पास कराने के लिए दिल्ली भेजना पड़ता है, जहां कानून पास होने में वर्षो लग जाते हैं. इस बीच चिट फंड संस्थाओं को काम करने का और समय मिल जायेगा. ये बातें पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पानीहाटी में माकपा की ओर से आयोजित प्रतिवाद सभा में कहीं.
उन्होंने कहा, चिट फंड संस्थाओं को रोकने के लिए वाममोरचा सरकार ने 11 साल के लंबे समय के बाद दिल्ली से कानून पास करवाया था. उस कानून में चिट फंड संस्थाओं से निबटने और उनकी संपत्ति जब्त करने सहित निवेशकों को उनकी रकम वापस लौटने के सभी प्रावधान हैं. राज्य सरकार उक्त कानून का उपयोग कर राज्य में चल रहे चिट फंड संस्थाओं के विरुद्ध शिकंजा कस सकती है. वाम मोरचा की सरकार ने चिट फंड संस्थाओं को कभी भी अपने पास फटकने नहीं दिया था, इसीलिए वाममोरचा सरकार को अपनी राह में रोड़ा बनने से बचाने के लिए ही तृणमूल को सत्ता में ले आयी.
सत्ता में आने के बाद तृणमूल सरकार के प्रोत्साहन से चिट फंड संस्थाओं ने एक के बाद एक निजी टीवी चैनल और अखबार निकाला. राज्य सरकार ने इसके लिए एक ही शर्त रखा था कि उन्हें अपने चैनल व अखबार में सरकार का समर्थन करना होगा और माकपा के विपक्ष में लिखना होगा. सरकार पंचायत चुनाव को रोक कर गणतांत्रिक प्रक्रिया का हनन कर रही है. इससे ग्राम अंचल के विकास पर प्रभाव पड़ेगा. माकपा ने सरकार में रहने के दौरान चुनाव आयोग की हर बात मानी है. चुनाव आयोग के निर्देश के मुताबिक हमेशा चुनाव हुआ है. गांव में कृषक धान की ब्रिकी नहीं कर पा रहा है. किसान आत्महत्या कर रहे हैं.
गरीब कृषकों को उनके फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है. काल-कारखाना भी नहीं हो रहा है. शिक्षित बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 10 लाख युवकों को नौकरी देने की बात को झूठ बताया कि प्राइवेट संस्थान में भी कोई काम नहीं मिला है. राज्य सरकार सिर्फ मेला व उत्सव कर राज्य के रुपये का बहा रही है. दिल्ली में अमित मित्र पर हमले की घटना की निंदा की. उन्होंने कहा कि घटना के बाद राज्य में उनके सैकड़ों पार्टी कार्यालय को तोड़े जाने की घटना की आलोचना की.