कोलकाता : ‘अगर आपको पता चले कि आप कैंसर से पीड़ित हैं और कुछ ही दिनों के मेहमान हैं, तब आपको जिंदगी की कीमत समझ में आती है. 2012 में एक जांच के बाद पता चला कि मुझे एनएचएल (नॉन होजकिन लिम्फोमा) दूसरे स्टेज पर व ओवेरियन कैंसर तीसरे स्टेज पर है.
उस समय मेरे पास दो ही विकल्प थे या तो जीवन से हार मान लूं या तो हिम्मत के साथ इसका इलाज करवाऊं. इलाज की प्रक्रिया व बायोप्सी के दौरान सिर के बाल, आइब्रो गायब हो जायेंगे. यह सोच कर ही मन घबरा जाता था. डॉक्टरों ने यह भी चेतावनी दी थी कि कीमोथेरेपी में अंधत्व, ब्लड की उल्टी या किडनी फेल होने की भी संभावना है.
इस प्रक्रिया के दाैरान डर तो मुझे भी लगा था, लेकिन हॉस्पिटल के बेड पर लेटे लेटे ही खुद को मोटिवेट करती रहती थी. खुद से वादा किया कि जिंदगी बची तो पीड़ित लोगों के लिए जरूर कुछ करूंगी. इस आत्मविश्वास ने ही नयी जिंदगी दी. आज इसी मकसद के साथ जिंदा हूं कि जब तक सांस है, कैंसर से पीड़ित लोगों की मदद करती रहूंगी.’
यह जज्बा आर्मी परिवार से ताल्लुक रखनेवाली रुनु चौधरी ने व्यक्त की. रुनु का कहना है कि ओवेरियन कैंसर, एक साइलेंट किलर है. अगर इसकी जरा भी भनक लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इलाज करवाना चाहिए. मरीज बन कर लाखों रुपये खर्च करने से अच्छा है कि समय रहते इलाज करवा कर जीवन बचायें. एक साल तक जंग लड़ने के बाद ईश्वर ने उन्हें एक नया जीवन दिया.
श्रीमती चौधरी बताती हैं कि बीमारी से जंग जीतने में उनके पति कर्नल एम एच चाैधरी के साथ दोनों बेटियों, दामाद व बेटे ने पूरा सपोर्ट किया. अब वह ‘साहस’ संस्था के जरिये कैंसर से पीड़ित लोगों की हर तरह से मदद कर रही हैं. इस संस्था से अभी 921 लोग जुड़े हुए हैं. ‘साहस’ के जरिये महिलाओं का एक ग्रुप स्वनिर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी व मेला आयोजित करता है.
इससे होनेवाली आय कैंसर हॉस्पिटल में डोनेट की जाती है. वह खुद भी क्राफ्ट की टीचर रही हैं. अपने उत्पादों की आय व क्षमतानुसार चंदा एकत्रित कर वह ठाकुरपुकुर कैंसर हॉस्पिटल के जरूरतमंदों की मदद करती हैं. उनके फेसबुक पेज के जरिये भी लोग उनसे जुड़ रहे हैं.
वह कहती हैं कि कैंसर ने उनका नजरिया बदल दिया. अब हर मिनट उनके लिए कीमती है. जितना भी जीवन है, उससे सात गुना अधिक काम वह करना चाहती हैं. हालांकि इस बीमारी के साइड इफेक्ट आज भी हैं, लेकिन वह इसकी परवाह नहीं करती हैं. टाटा हॉस्पिटल के प्रेमाश्रय में जाकर कैंसर पीड़ित बच्चों के साथ समय बिताना, उनकी मदद करना व उनके चेहरे पर मुस्कान बिखेरना अब उनके जीवन का एक मिशन बन गया है. पीड़ितों की मदद कर उनको जो सुकून मिलता है, वही उनकी ऊर्जा व सच्ची खुशी है.
वह कहती हैं, किसी भी संकट से जब हिम्मत के साथ हम मुकाबला करते हैं तो पूरी कायनात भी साथ देती है. जिंदगी और खूबसूरत बन सकती है, जब हम दूसरों की या कैंसर पीड़ित बच्चों की भी मदद करें. उनके पास जाकर उनका हाैसला बढ़ायें तो वह क्षण भी जिंदगी का खास पल बन सकता है.