कोलकाता: शहर वासियों को साफ-सफाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, जल आपूर्ति इत्यादि की सुविधा प्रदान करना कोलकाता नगर निगम का प्रमुख काम है. साथ ही महानगर की तमाम संपत्तियों, सड़कों, जलाशयों का रिकॉर्ड रखना भी निगम के काम में शामिल है, पर उसी कोलकाता नगर निगम पर लेन-देन का किसी प्रकार का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने के कारण सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्तियों का नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है. यह आरोप किसी विपक्षी दल या विपक्षी नेता ने नहीं लगाया है. बल्कि कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (सीएजी) ने यह सवाल खड़े किये हैं.
सीएजी ने इस संबंध में निगम के चीफ मैनेजर (राजस्व) एवं चीफ वैलुअर एंड सर्वेअर को पत्र लिखा है. यह मामला निगम द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक के द्वारा सामने आया है. इनवेंटरी ऑफ इम्मूवल प्रोपर्टीज (अचल संपत्तियों का संग्रह ) नामक यह किताब 2014-15 के बजट के दौरान जारी की गयी थी और इसकी एक कॉपी सीएजी दफ्तर को भी भेजा गया था. इस किताब में निगम के सभी 141 वार्डो के बारे में पूरा ब्यौरा शामिल किया गया है.
इसमें बड़ी-बड़ी संपत्तियों, उसकी कीमत एवं मालिकाना के बारे में भी विस्तार से बताया गया है. अपने पत्र में सीएजी ने कहा है कि अधिकतर संपत्तियों का एसेसी नंबर ( कर निर्धारित नंबर) प्रदान नहीं किया गया है. यह संख्या किसी भी संपत्ति के मालिकाना को समझने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. पुस्तक में जहां किसी संपत्ति का एसेसी नंबर दिया भी गया है तो उसके स्वामित्व के रूप में निगम का नाम दर्ज नहीं है. पत्र मिलने के बाद निगम ने मामले की जांच शुरू कर दी है. यह पाया गया है कि पहले लगभग 200 संपत्ति का मालिकाना निगम के हाथों से बदल गया है. मेयर शोभन चटर्जी का कहना है कि अगर लेन-देन में किसी प्रकार की गड़बड़ी पायी गयी तो संपत्तियों के मालिकाना अधिकार को रद्द कर दिया जायेगा.