कोलकाता : राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाली दूरगामी बसें इन दिनों ड्रग्स, जाली नोट औऱ हथियारों की तस्करी का सेफ रूट बनती जा रही हैं. बंगाल से बिहार, झारखंड और ओड़िशा समेत कई अन्य प्रमुख शहरों में जाने वाली दूरगामी बसों में अक्सर ऐसे मामले भी सामने आये हैं, जहां कभी स्टैंडों के पास से, तो कभी इनके गंतव्य से पुलिस ने तस्करी के सामानों को पकड़ा है.
फेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशंस के महासचिव सुभाष चंद्र बोस का कहना है कि जितनी भी दूरगामी बसें बांग्लादेश सीमा से सटे जिलों से होकर गुजरती हैं, उनमें काफी पैमाने पर तस्करी के सामाना लादे जाते हैं.
चेकिंग के अभाव में ऐसा होता है. अवैध तरीके से सामानों की सप्लाई से रोजाना सरकार के लाखों-करोड़ों रुपये के रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है. इधऱ, दूरगामी बसों के चालक अथवा लोडिंग इंचार्ज का कहना है कि सामानों की रशीद हो या नहीं, कोई बात नहीं है. पैसा लगेंगे और सामान पहुंच जायेगा. बीच में चेकिंग होगी तो उसकी सुरक्षा आप समझें. मतलब यह है कि अधिक से अधिक सामान लोड करना, चाहे सामान भेजने वाले के पास उस सामान के दस्तावेज हों अथवा न हों, उससे उन्हें मतलब नहीं है.
उन्हें सिर्फ रुपये से मतलब है. कोलकाता से रांची जाने वाली बस संगठन के एक व्यक्ति से पूछे जाने पर उसने साफ तौर पर कहा कि आपकी सुरक्षा आप समझें. चाहे कागज हो अथवा न हो, हमें पैसा दे दीजिएगा तो आपका सामान लोड हो जायेगा. इस संबंध में कोलकाता पुलिस के एक अधिकारी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पुलिस की तरफ से जब भी अवैध तस्करी की सूचना मिलती है, तो तुरंत कार्रवाई होती है.