कोलकाता : मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर नकेल के लिए राज्य सरकार ने सख्त कानून बनाने की तैयारी कर ली है. सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य सरकार भीड़ द्वारा हिंसा और हत्या जैसी घटनाओं पर काबू के लिए विधानसभा में एक विधेयक लाने की तैयारी में है. जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल (भीड़ द्वारा हत्या पर रोकथाम) विधेयक, 2019 को 30 अगस्त को विधानसभा में पेश किये जाने की संभावना है. इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ मंत्री ने मंगलवार को कहा कि इस विधेयक का मकसद कमजोर लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और भीड़ द्वारा हत्या की घटनाओं को रोकना है. इसमें अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रस्ताव किया गया है.
मंत्री ने कहा कि विधेयक के अनुसार, राज्य के पुलिस महानिदेशक एक समन्वयक नियुक्त करेंगे, जो नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे. इस नये कानून के अनुसार, सामूहिक पिटाई में घायल होने की स्थिति में दोषियों को तीन साल तक की जेल की सजा भुगतनी होगी. यही नहीं, उन पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. सामूहिक पिटाई में गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में दोषियों को आजीवन कारावास होगा. उन्हें तीन लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा. मॉब लिंचिंग में अगर किसी की मौत होती है और आरोप साबित हो जाता है तो दोषी को आजीवन कारावास की सजा होगी और साथ ही पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जायेगा.
उल्लेखनीय है कि 17 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ फैसला सुनाया था. शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को कानून बनाने का निर्देश दिया था. वर्ष 2018 के अंत में मणिपुर सरकार ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून पारित किया. मणिपुर के बाद राजस्थान सरकार ने भी पांच अगस्त को मॉब लिंचिंग के खिलाफ नया कानून पारित किया.
बिल लाने से कोई फायदा नहीं
सामूहिक पिटाई से मौत जैसे मामलों में राज्य सरकार बिल ला रही है, लेकिन इस पर बिल लाकर भी कोई फायदा होने वाला नहीं है क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था ठीक नहीं है. पुलिस प्रशासन का मनोबल पूरी तरह से टूट गया है. ऐसे में यह बिल लाने से कोई फायदा होने वाला नहीं है. यह कहना है प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष का. उन्होंने कहा कि बंगाल की वर्तमान जो स्थिति है, जिस तरह से पुलिस का मनोबल टूट रहा है, वैसे में इस बिल से कोई लाभ होने वाला नहीं है.
क्या है विधेयक में
मंत्री के मुताबिक, पीड़ित पर हमला कर घायल करने के मामले में विधेयक में तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान होगा.
मौत के मामले में घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए कठोर आजीवन कारावास और पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रावधान होगा.