कोलकाता : शेक्सपीयर सरणी इलाके में तेज रफ्तार जगुआर कार के धक्के से दो बांग्लादेशी नागरिकों की मौत के मामले में पुलिस की जांच ने नया मोड़ ले लिया है. मामले की जांच में पता चला कि दुर्घटना के समय जगुआर कार अरसलान परवेज (21) नहीं, बल्कि उसका बड़ा भाई राघीव परवेज (25) चला रहा था. वह घटना के बाद दुबई भाग गया था.
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कार में लगी एंटरटेनमेंट टेलीमेडिक्स डेटा तकनीक से सामने आया नाम, अरसलान नहीं, बड़ा भाई चला रहा था कार
कोलकाता : शेक्सपीयर सरणी इलाके में तेज रफ्तार जगुआर कार के धक्के से दो बांग्लादेशी नागरिकों की मौत के मामले में पुलिस की जांच ने नया मोड़ ले लिया है. मामले की जांच में पता चला कि दुर्घटना के समय जगुआर कार अरसलान परवेज (21) नहीं, बल्कि उसका बड़ा भाई राघीव परवेज (25) चला रहा […]
हालांकि कोलकाता लौटते ही राघीव को पुलिस ने बुधवार शाम 4.15 बजे के करीब बेनियापुकुर इलाके में एक प्राइवेट अस्पताल के पास से गिरफ्तार किया. गिरफ्तार आरोपी को गुरुवार को अदालत में पेश किया जायेगा.
पुलिस का कहना है कि प्राथमिक पूछताछ में राघीव ने कार चलाने की बात स्वीकार कर ली है. दुर्घटना के बाद उसे कोलकाता से दुबई भागने में मदद करने के आरोप में मामा मोहम्मद हामजा को भी करया इलाके से गिरफ्तार किया गया.
कैसे हुआ इसका खुलासा :
कोलकाता पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) मुरलीधर शर्मा ने बताया कि कोई भी महंगी कार के सड़क हादसों में दुर्घटनाग्रस्त होने पर अंदर मौजूद एयरबैग फट जाता है, जिससे चालक के चेहरे में कुछ दाग रह जाता है, इस मामले में अरसलान परवेज के चेहरे पर वह दाग पुलिस को नहीं मिला था.
संदेह उसी समय से होने लगा था. गिरफ्तार बड़े भाई राघीव के चेहरे पर पुलिस को वह दाग मिले हैं, जो दुर्घटना के बाद तकनीकी तौर पर चालक के चेहरे में होने चाहिये थे.
इसके बाद कार के अंदर मौजूद ‘एंटरटेनमेंट टेलीमेडिक्स डेटा टेक्निक’ उपकरण की जांच की गयी तो उसमें दुर्घटना के पहले कार चलाने वाले का मोबाइल नंबर मिला, जो राघीव परवेज का निकला. पुलिस को राघीव की तस्वीर ह्वाट्सएप से मिली.
इसके बाद पुलिस घटनास्थल के आसपास लगे प्राइवेट सीसीटीवी कैमरों की तस्वीरों को खंगालना शुरू की. करीब 45 कैमरों को खंगालने पर कुछ कैमरों में राघीव का चेहरा भी मिला.
दुर्घटना के बाद कार से उतरा, फिर कुछ कदम चलने के बाद दौड़ कर हुआ फरार :
पुलिस सूूत्रों के मुताबिक वारदात स्थल के आसपास प्राइवेट प्लेस पर लगे करीब 45 कैमरों को खंगालने पर एक कैमरे में राघीव कार से उतर कर पैदल चलते दिखा. इसके बाद कुछ दूर जाकर भागते हुए भी उसका चेहरा कैमरे में स्पष्ट कैद हुआ. पुलिस करया इलाके स्थित उसके घर में पहुंची तो आरोपी के शहर से भाग कर दुबई में छिपे होने का पता चला.
कैसे प्रमुख आरोपी तक पहुंची पुलिस :
पुलिस का कहना है कि आरोपी की तस्वीर मिलने के बाद उसके घर में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद तस्वीर खंगालने पर घटना की रात को 10.30 से 11.30 बजे के बीच जगुआर कार लेकर उसे घर से बाहर निकलते पाया गया. तस्वीर में राघीव ही कार में बैठते हुए दिखा. उधर वारदात स्थल में लगे कैमरों में भी राघीव की तस्वीर कैद हो गयी थी.
परिवार ने क्यों बड़े बेटे की जगह छोटे बेटे को भिजवाया हवालात :
सड़क हादसे में दो बांग्लादेशी नागरिकों की मौत के मामले में बड़े बेटे के आरोपी होने के बावजूद परिवार के सदस्यों ने छोटे बेटे को पुलिस के हवाले कर दिया. यह बड़ा सवाल है. इस पर श्री शर्मा का कहना है कि पुलिस भी इस सवाल का जवाब तलाश रही है. दुर्घटना के बाद पुलिस की तरफ से कार के मालिक अरसलान परिवार को नोटिस भेज कर आरोपी लेकर थाने में बुलाया गया था.
इस दौरान अरसलान के परिवार ने अपने छोटे बेटे अरसलान को ही दुर्घटना का आरोपी बताया और कार उसी के चलाने की बात कही. हालांकि पुलिस ने जांच में राघीव को गाड़ी चलाते हुए पाया है. इस कारण उसे गिरफ्तार कर लिया. पुलिस का कहना है कि परिवार ने ऐसा क्यों किया, इसके पीछे की क्या वजह थी, इसकी जांच अब भी जारी है.
अत्याधुनिक कार में लगी ‘एंटरटेनमेंट टेलीमेडिक्स डेटा तकनीक’ बनी मददगार
मशीन में कार चलानेवालों का मोबाइल नंबर करना होता है सेव
मशीन में जिनका नंबर सेव रहेगा, वही चला पायेंगे कार
कब, कौन, कितनी देर तक चलाया है कार, सारी जानकारी होती है दर्ज
कोलकाता : शेक्सपीयर सरणी में सड़क हादसे में दो बांग्लादेशी नागरिकों की मौत की जांच के दौरान एंटरटेनमेंट टेलीमेडिक्स डेटा तकनीक पुलिस के लिए काफी मददगार बनी.
क्या है ‘एंटरटेनमेंट टेलीमेडिक्स डेटा तकनीक’?
कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त (अपराध) मुरलीधर शर्मा ने बताया कि जांच में पुलिस जब जगुआर कंपनी के अधिकारियों से तकनीकी मदद के लिए संपर्क की तो कार में एक विशेष तकनीक मौजूद होने का पता चला, जिसे ‘एंटरटेनमेंट टेलीमेडिक्स डेटा तकनीक’ कहते हैं. इस तकनीक में कई विशेषताएं हैं. इस मशीन में कार चलानेवालों का नंबर सेव करना होता है.
अगर परिवार के 10 सदस्य विभिन्न समय में कार चलायेंगे, तो सभी सदस्यों का नंबर कार में मौजूद इस तकनीक की मशीन में सेव करना होता है. इनमें से एक व्यक्ति को एडमिन बनाना होता है, जिनके द्वारा ही सभी नंबर सेव किये जाते हैं. कार ड्राइविंग के पहले चालक को अपना मोबाइल नंबर इस फीचर में जोड़ना होता है, तभी कार आगे बढ़ती है.
इसके अलावा इस तकनीक के जरिये सेव मोबाइल नंबर वाले लोगों में कौन, कब, कितनी देर से कितनी देर तक कार ड्राइविंग किये हैं उनकी पूरी जानकारी दर्ज होती है. अगर किसी का नंबर इस तकनीक में सेव नहीं, तो वह व्यक्ति कार को एक मीटर भी आगे नहीं बढ़ा पायेगा.
आम तौर पर महंगी कार चोरी होने से बचाने के लिए कंपनी इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल अब इन कार में करने लगी है. पुलिस को इस तकनीक का पता चला तो कार को अंतिम बार किसने चलाया, इसकी जानकारी मशीन से लेने पर राघीव का मोबाइल नंबर सामने आया. तब मामला पूरी तरह से 90 डिग्री घूम गया और असली चालक का पता चला.
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