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पांच दशक सहा घाटा, अब चमकी बीसीपीएल

कंपनी को 2023 तक ‘ मिनी रत्न’ दर्जा दिलाने का रखा लक्ष्य कोलकाता : पांच दशक अर्थात 50 वर्षों तक घाटे में रहने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने लाभ का मुंह देखा है. अब सिर्फ लाभ नहीं, बल्कि कंपनी ‘ मिनी रत्न कंपनी ‘ का दर्जा पाने की […]

कंपनी को 2023 तक ‘ मिनी रत्न’ दर्जा दिलाने का रखा लक्ष्य

कोलकाता : पांच दशक अर्थात 50 वर्षों तक घाटे में रहने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने लाभ का मुंह देखा है. अब सिर्फ लाभ नहीं, बल्कि कंपनी ‘ मिनी रत्न कंपनी ‘ का दर्जा पाने की दिशा में भी तेजी से अग्रसर हो रहा है.
कंपनी की विकास की रफ्तार अगर इसी तरह जारी रहती है तो वर्ष 2023 तक कंपनी को ‘ मिनी रत्न ‘ का दर्जा मिल जायेगा. यह जानकारी शनिवार को कंपनी के प्रबंध निदेशक पीएम चंद्रय्या ने कलकत्ता इलेक्ट्रिक ट्रेडर्स एसोसिएशन (सीटा) की ओर से आयोजित सेमिनार के दौरान कही.
इस मौके पर सीटा के अध्यक्ष एलएन मूंधड़ा ने बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पीएम चंद्रय्या का स्वागत किया. सेमिनार को संबोधित करते हुए श्री चंद्रय्या ने कहा कि बंगाल केमिकल्स सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व की पहली ऐसी कंपनी है, जाे पांच दशक तक घाटे में रहने के बाद मुनाफा कमाया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में कंपनी ने 10 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था, जो 2018-19 में बढ़ कर 25 करोड़ रुपये हो गया है.
हमने वर्ष 2021 इसे बढ़ा कर 50 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है. वहीं, कंपनी के कारोबार के बारे में उन्होंने बताया कि वर्ष 2013-14 तक कंपनी का कुल कारोबार लगभग 37 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2018-19 में बढ़ कर 120 करोड़ रुपये हो गया है. हमने इसे वर्ष 2024 तक 500 करोड़ रुपये करने की योजना बनाई गई है.
सोच ने बदली कंपनी की तकदीर
कंपनी के इस बदलाव के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए संभव हो पाया, क्याेंकि कंपनी में काम करने वाले लोग पहले यहां स्वयं को कर्मचारी मानते थे, आज स्वयं को मालिक समझते हैं. वह इतना समझ गये हैं कि यह हमारी कंपनी है और यह है तो हम हैं.
कंपनी के आधुनिकीकरण के लिए 2007 में मशीनें खरीदी गईं, लेकिन यह आपको जान कर आश्चर्य होगा कि इन मशीनों का इंस्टालेशन 2015 में हुआ. इसमें से कई मशीनें खराब हो गई थीं, फिर से इसका आधुनिकीकरण करते हुए इन्हें इंस्टाल किया गया. वर्ष 2015 से अब तक कंपनी के उत्पादन में पांच गुना वृद्धि हुई है.
पहले कंपनी का विक्रय प्रति व्यक्ति सात लाख रुपये था, जो अब बढ़ कर 61 लाख रुपये हो गया है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने बंगाल केमिकल्स को भी बंद करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन पिछले दो वर्षों के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि इसमें अभी जान बाकी है. कंपनी अभी और ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार है. इस अवसर पर सीटा के महासचिव मनाेज कुमार सिंघी ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

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