कोलकाता: कार्य संस्कृति में बदलाव के लिए कोलकाता नगर निगम ने चीफ मैनेजर के छह नये पद सृजित किये हैं, जो निगम के सभी 15 बोरो का कामकाज देखेंगे. निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब बोरो का मुखिया किसी गैर इंजीनियर अधिकारी को बनाया जा रहा है.
अभी तक बोरो का कामकाज एवं फंड के खर्च की जिम्मेदारी एक्जिक्यूटिव इंजीनियर के कंधों पर होती थी. निगम का दावा है कि सार्वजनिक सेवा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है, जबकि आला अधिकारियों का मानना है कि इस फैसले से प्रशासन के कामकाज पर गलत असर पड़ेगा, क्योंकि इंजीनियरिंग एवं गैर इंजीनियरिंग अधिकारियों के बीच हमेशा समन्वय की कमी रही है.
वहीं दूसरी तरफ अरसे से 70 असिस्टेंट मैनेजर, 105 इंस्पेक्टर एवं 140 हेड असिस्टेंट के पद खाली पड़े हुए हैं. इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों के पद खाली होने का सीधा असर निगम के कामकाज पर पड़ रहा है, क्योंकि किसी भी कामकाज के लिए फाइल की तैयारी इंस्पेक्टर करता है. उसके बाद वह फाइल असिस्टेंट मैनेजर, डिप्टी मैनेजर एवं मैनेजर के पास से होते हुए मंजूरी के लिए चीफ मैनेजर तक पहुंचती है. छह नये चीफ मैनेजर के पद का सृजन करने वाला पर्सनल विभाग यह भी बताने के लिए तैयार नहीं है कि पिछले वर्ष किसी को प्रमोशन क्यों नहीं दिया गया. प्रमोशन का इंतजार करते-करते कई निगमकर्मी व अधिकारी रिटायर तक हो गये.