कोलकाता: मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है लेकिन आज की परिस्थितियों में मीडिया की निष्पक्षता पर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. अन्य व्यवसाय की तरह मीडिया पर भी बाजारवाद हावी है.
उक्त बातें शनिवार को कलकत्ता चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित क्या मीडिया निष्पक्ष हो सकता है विषयक परिचर्चा में पत्रकार सुमन चट्टोपाध्याय ने कहीं. उन्होंने कहा कि आज मीडिया पर भी आर्थिक संकट मंडरा रहा है. मीडिया पर कई तरह के दबाव होते हैं, इस स्थिति में निष्पक्षता की बात करना व्यावहारिक नहीं है.
बाजारवाद का ही असर है कि मीडिया में ग्लैमरस खबरों व क्रिकेट को तो प्राथमिकता दी जाती है लेकिन देश में गांवों या किसी गरीब ग्रामीण की समस्या को नजरअंदाज किया जाता है. पत्रकार कृष्णा प्रसाद ने कहा कि पत्रकारिता में पक्षपात के सही मायने समझने होंगे.
आज मीडिया पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी है. कई बड़े घोटालों का पर्दाफाश मीडिया के कारण ही हुआ है. कई बार अच्छी खबर कोई खबर नहीं होती है लेकिन नकारात्मक खबर बड़ी खबर बन जाती है. पत्रकार सुहासिनी हल्दर ने कहा कि मीडिया में किस खबर को कितनी जगह व समय दिया जाता है, यह भी महत्वपूर्ण है. ग्रामीण विकास की खबरों या आम आदमी की समस्या को वरीयता न देना भी पक्षपात है. पत्रकार मोनीदीपा बनर्जी ने कहा कि मीडिया में कॉर्पोरेट मालिकाना, विज्ञापन व राजनैतिक दबाव के कारण भी आज निष्पक्षता की बात बेतुकी लगती है. कलकत्ता चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष आरके छाजेड़ ने कहा कि लोकमत बनाने में जनता की महत्वपूर्ण भूमिका है.