कोलकाता: कहावत है कि मन में पढ़ाई और कुछ कर दिखाने का लगन हो, तो इंसान किसी भी परिस्थिति में अपने को अपने तरीके से ढाल सकता है. चाहे वह परिवेश कैसा भी हो, लेकिन एक ऊंचाई तक पहुंच सकता है.
उसके लिए कोई कठिनाई बाधा नहीं बन सकती है. अलीपुर प्रेसिडेंसी जेल में पांच वर्षो से रह रहे विचाराधीन कैदी रवि कुमार गुप्ता ने कुछ इसे जेल की सलाखों के पीछे सच कर दिखाया है. रंग गोरा, कद लगभग 5.5 फीट और शरीर एक राज कुमार जैसा. हरियाणा के सोनीपथ के रहनेवाले रवि को वर्ष 2008 के जुलाई में बड़ाबाजार में एक डकैती मामले में लोगों ने रंगेहाथों उसे पकड़ा था. इसके बाद से वह विचाराधीन कैदी के रूप में अलीपुर प्रसिडेंसी जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में रह रहा है.
फिलॉसफी से पास की एमए की पढ़ाई
जेल सूत्र बताते हैं कि रवि ने जेल में आने से पहले ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली थी. इसके बाद ही वह गलत संगत में फंस कर बड़ाबाजार डकैती की साजिश रच रहे दोस्तों के साथ हरियाणा से यहां आ गया था. वारदात को अंजाम देते समय वह लोगों के हाथों पकड़े जाने के बाद यहां है. कुछ समय यहां रहने के बाद उसने जेल अधिकारियों के पास आगे पढ़ाई जारी रखने की इच्छा जाहिर की. इसके बाद उसका दाखिला इंदिरा गांधी ओपेन यूनिवर्सिटी (इग्नू) में कराया गया, जहां से फिलॉसोफी विषय में उसने मास्टर्स की पढ़ाई पूरी कर ली. इसके बाद अब एमबीए की पढ़ाई के लिए उसने आवेदन किया है. उसका मानना है कि यहां से रिहा होने के बाद एक सफल जिंदगी जीने के लिए हीं वह इस तरह का कदम उठा रहा है. पढ़ाई करने से उसे बेहतर नौकरी का मौका मिलेगा.
एमबीए पढ़ने की जतायी इच्छा
इस मामले पर डीआइजी (वेलफेयर व डेवलपमेंट) सुदीप्त चक्रवर्ती बताते है कि जेलों में भी इस तरह का नजारा हो सकता है. यहां सभी बुरे नहीं होते, अच्छे काम करनेवाले कैदियों को हर संभव मदद की जाती है. मास्टर्स की डिग्री मिलने के बाद रवि ने एमबीए की पढ़ाई के लिए अब आवेदन किया है. जेल अधिकारियों के पास आवेदन की कॉपी आयी है. किस तरह से रवि की एमबीए की पढ़ाई पूरी करायी जाये, इस बारे में चर्चा हो रही है. जल्द ही इस पर उचित फैसला ले लिया जायेगा.