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राज्य में शिशु व महिला तस्करी पर हाइकोर्ट ने जतायी चिंता
कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य में शिशु व महिला तस्करी के मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कह रही है और राज्य सरकार कन्याश्री कह रही है. राज्यभर में जो हो रहा है, उसमें केवल लड़कियां ही नहीं लड़के भी सुरक्षित नहीं हैं. देगंगा में एक किशोरी […]
कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य में शिशु व महिला तस्करी के मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कह रही है और राज्य सरकार कन्याश्री कह रही है. राज्यभर में जो हो रहा है, उसमें केवल लड़कियां ही नहीं लड़के भी सुरक्षित नहीं हैं. देगंगा में एक किशोरी के लापता होने के मामले में मंगलवार को कलकत्ता हाइकोर्ट ने यह टिप्पणी की.
साथ ही कलकत्ता हाइकोर्ट की न्यायाधीश नादिरा पाथेरिया ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसी शिशु व महिला तस्करी के मामले में पुलिस तत्परता के साथ उपयुक्त कदम उठाये. याचिकाकर्ता के वकील देवाशीष बंद्योपाध्याय ने कहा कि 2016 के तीन अक्तूबर को स्कूल जाते वक्त 16 वर्षीय एक नाबालिग लड़की लापता हो गयी थी.
उसी दिन देगंगा थाने में लड़की के परिवारवालों ने लिखित शिकायत दर्ज करायी थी. लड़की के स्कूल की तरफ से भी पुलिस को लिखित रूप में लड़की के उद्धार के लिए आवेदन किया गया था. लेकिन पांच महीने बीत जाने पर भी पुलिस लड़की का पता नहीं लगा सकी. 2017 के 22 मार्च को पुलिस निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट में लड़की के परिवारवालों ने याचिका दायर की थी. न्यायाधीश जयमाल्य बागची ने मामले की जांच का जिम्मा सीआइडी को सौंपने का निर्देश दिया था.
हालंकि इससे भी नतीजा न निकलने पर लड़की के पिता मीर आजाद अली ने कलकत्ता हाइकोर्ट में फिर याचिका दायर की. मामले की सुनवाई में सीआइडी की ओर से वकील पारमोमिता पाल ने कहा कि लड़की को उद्धार किया गया है. फिलहाल वह अपने पति आलोक दलुई के पास है. इस संबंध में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि लड़की को पहले भी बरामद किया जा सकता था.
जानबूझकर पुलिस की लापरवाही की वजह से लड़की के 18 वर्ष पूरे होने पर उसे उद्धार किया गया. सीआइडी की वकील ने यह भी कहा कि लड़की को उद्धार करने में काफी कठिनाई हुई. सीआइडी के जांच अधिकारी इसमें घायल भी हुए. निचली अदालत में लड़की ने अपने बयान में कहा है कि उसका एक महीने का बेटा भी है. वह अपने पति के साथ सुखी है. वह अपने मां-बाप के पास नहीं लौटना चाहती.
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