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…जहां नशे के लिए बच्चों से मंगवाते हैं भीख

कोलकाता : चार साल का पिंटू और सात साल की टुंपा सियालदह मेल लाइन की लोकल ट्रेन में अक्सर दिख जाते हैं. टुंपा छोटा ऑडियो प्लेयर लेकर ट्रेन में सवार होती है और जिसके जरिये कई तरह के गाना लोगों को सुनाती है. पिंटू ट्रेन में सवार यात्रियों से पैसे मांगता है. एक दफा एक […]

कोलकाता : चार साल का पिंटू और सात साल की टुंपा सियालदह मेल लाइन की लोकल ट्रेन में अक्सर दिख जाते हैं. टुंपा छोटा ऑडियो प्लेयर लेकर ट्रेन में सवार होती है और जिसके जरिये कई तरह के गाना लोगों को सुनाती है. पिंटू ट्रेन में सवार यात्रियों से पैसे मांगता है. एक दफा एक यात्री ने उसे बादाम का छोटा पैकेट देना चाहा, लेकिन उसने उससे रुपये मांगे, हालांकि यात्री ने उसे कुछ नहीं दिया.
पिंटू से बात करने पर पता चला वह और उसकी बहन बेलघरिया के रेल लाइन के पास बस्ती इलाके के रहनेवाले हैं. बादाम नहीं लेकर पैसे मांगने वाली बात पूछने पर उसका कहना था कि बाबा (पिता) पैसा मांगते हैं. वह काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है. घर में मां-बाबा हैं. बाबा कुछ नहीं करते हैं हालांकि शराब जरूर पीते हैं. रुपये नहीं लाने पर गुस्सा जरूर करते हैं. शायद यही वजह है कि पिंटू और टुंपा जैसे बच्चे भीख मांगने को मजबूर हैं.
पिंटू जैसे लड़के आपको रास्ते में कई दफा देखने को मिल जायेंगे. लोकल ट्रेन में तो जैसे एक ट्रेंड चल रहा है, बच्चे भीख मांग रहे हैं अपने अभिभावकों के नशा की पूर्ति के लिए. ऐसा ही हाल कांचरापाड़ा रेलवे स्टेशन के दो नंबर प्लेटफार्म में दिखता है. पिछले 4 सालों से छोटा बच्चा भीख मांगता है और उसकी मां छोटी बेटी को लेकर रेलवेओवर ब्रिज पर भीख मांगते नजर आती है. आलम यह है कि बच्चा अगर पैसा नहीं लाये तो मां की फटकार सुननी पड़ती है. कोई कुछ खाने को दे तो पिटाई लगती है.
राज्य में सक्रिय है भिखारियों का गिरोह
राज्य में भिखारियों का गिरोह भी सक्रिय है. गिरोह में छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, उनसे भीख मंगवा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो ट्रेनिंग देकर बच्चों से भीख भी मंगवाया जाता है. उत्तर 24 परगना जिले के कई इलाकों में भीख मांगने वालों की संख्या में बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है. बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड, रेलवे स्टेशन के साथ महानगर के मुख्य अस्पतालों और धार्मिक स्थलों पर सुबह से देर रात तक बच्चों को भीख मांगते देखा जा सकता है. इन बच्चों की उम्र करीब छह से दस साल के बीच होती है.
अभिभावकों को मिलते हैं रुपये
सूत्रों के अनुसार भीख मांगने की ट्रेनिंग देने वाला शख्स बच्चों से भीख मंगवाता है. भीख की राशि का करीब 40% उसके पास जाता है और बाकी बच्चों के मां-बाप के पास. पुलिस व बाल कल्याण विभाग की ओर से आये दिन अभियान तो चलाया जाता है लेकिन भिखारियों के गिरोह पर इसका कोई असर नहीं दिखता.

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