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सैटलाइट से 510 पुराने हावड़ा शहर की मिलेगी जानकारी
हावड़ा : कोलकाता से सटे 510 साल पुराने एेतिहासिक हावड़ा शहर की जानकारी अब सैटलाइट के जरिये मिलेगी. सैटलाइट लगने से निश्चित तौर पर नगर निगम का काम बहुत आसान हो जायेगा. वर्षों पुराने इस शहर का अंडर ग्राउंड मैप (जमीन के अंदर का नक्शा) निगम के पास उपलब्ध नहीं है. हावड़ा नगर निगम आैर […]
हावड़ा : कोलकाता से सटे 510 साल पुराने एेतिहासिक हावड़ा शहर की जानकारी अब सैटलाइट के जरिये मिलेगी. सैटलाइट लगने से निश्चित तौर पर नगर निगम का काम बहुत आसान हो जायेगा. वर्षों पुराने इस शहर का अंडर ग्राउंड मैप (जमीन के अंदर का नक्शा) निगम के पास उपलब्ध नहीं है. हावड़ा नगर निगम आैर आइआइइएसटी के बीच इसको लेकर एक समझौता भी हुआ है. आइआइइएसटी सैटलाइट के लिए इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) से बात कर रही है. निगम को इसके लिए सालाना करीब 10 लाख रुपये आइआइइएसटी को देने होंगे.
भूमिगत नालों के साथ इतिहास से जुड़ी बातों की मिलेगी जानकारी
96.5 वर्ग किलोमीटर में फैले हावड़ा शहर के भूमिगत नालों आैर ड्रेनेज सिस्टम का मैप निगम के पास नहीं है. यही कारण है कि बारिश के मौसम में जलजमाव इस शहर की सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है, जिसका निदान अब तक नहीं किया जा सका है. निगम की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसके पास निकासी व्यवस्था से संबंधित कोई जानकारी नहीं है.
शहर के किस छोर से भूमिगत नाला कहां गया है, इसका कोई नक्शा नहीं है. अनुमान लगाकर ड्रेनेज सिस्टम आैर भूमिगत नालों की सफाई की जाती है. जानकारों की मानें तो हावड़ा शहर के भौगोलिक संरचना में काफी बदलाव हुआ है. वर्षों पहले हुगली नदी का एक किनारा हावड़ा कोर्ट तक था. समय के साथ-साथ गंगा सिमटती चली गयी. पिछले दिनों हावड़ा मैदान छोर पर इस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के तहत मिट्टी खोदने के दौरान इतिहास से जुड़ी सामग्री मिली थी. जिसे पुरातत्व विभाग को सौंप दिया गया.
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