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मरम्मत के बाद फिर शहीद मीनार में दरार, फिर से हाेगी मरम्मत

कोलकाता : महानगर स्थित शहीद मीनार की मरम्मत के अभी छह वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैं कि एक बार फिर शहीद मीनार में बड़ी दरार पड़ गयी है. इससे राज्य के लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी सकते में हैं. जानकारी के अनुसार, वर्ष 2012 में शहीद मीनार की मरम्मत की गयी थी और […]

कोलकाता : महानगर स्थित शहीद मीनार की मरम्मत के अभी छह वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैं कि एक बार फिर शहीद मीनार में बड़ी दरार पड़ गयी है. इससे राज्य के लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी सकते में हैं.
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2012 में शहीद मीनार की मरम्मत की गयी थी और इस पर राज्य सरकार की ओर से 50 लाख रुपये खर्च किये गये थे, लेकिन छह वर्ष के अंदर ही इसमें एक बार फिर दरार पड़ गयी.
शहीद मीनार में प्रवेश पर लगी रोक : गौरतलब है कि शहीद मीनार में पड़ी दरार का जायजा लेने के लिए लोक निर्माण विभाग के 12 इंजीनियरों की टीम ने इसका दौरा किया और पाया कि मीनार की सीढ़ी व दीवार में कई जगहों पर दरार पड़ गयी है, जिसकी मरम्मत जरूरी है. इसे देखते हुए लोक निर्माण विभाग ने फिलहाल शहीद मीनार में प्रवेश पर रोक लगा दी है.
शहीद मीनार का इतिहास
शहीद मीनार का निर्माण 1828 में डॉ डेविड ऑक्‍टर लोनी की याद में किया गया था. ऑक्‍टर लोनी ने आंग्‍ल-नेपाली युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेतृत्‍व किया था. इस मीनार के निर्माण में तीन शैलियों का मिश्रण है. आधार मिस्र की शैली में, खंभे सीरियन शैली में तथा गुंबज तुर्क शैली में बना हुआ है.
सर डेविड आॅक्टर लोनी ने नेपाल की लड़ाई में अपनी विजय को यादगार बनाने के लिए इसे बनवाया था. इसलिए पहले इसे आॅक्टरलोनी मोन्यूमेंट के नाम से जाना जाता था, लेकिन 1969 से इसका नाम शहीद मीनार रख दिया गया जिसे देश की आजादी के लिए शहीद हुए देशभक्तों की याद में रखा गया था. शहीद मीनार की ऊंचाई 158 फीट है तथा ऊपर की तरफ खड़े होने के लिए दो छज्जे बने हैं.

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