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कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरण पर प्रदूषण की मार : अगले 50 वर्षों में नष्ट हो जायेगा कोलकाता !

कोलकाता : अगले 50 सालों में कोलकाता शहर के अस्तित्व के समाप्त हो जाने की आशंका जतायी गयी है. जिसकी वजह कार्बन उत्सर्जन व पर्यावरण प्रदूषण है. यह शहर एशिया के उन 40 शहरों की सूची में शामिल हैं, जहां प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक है और उनके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. सुमन […]

कोलकाता : अगले 50 सालों में कोलकाता शहर के अस्तित्व के समाप्त हो जाने की आशंका जतायी गयी है. जिसकी वजह कार्बन उत्सर्जन व पर्यावरण प्रदूषण है. यह शहर एशिया के उन 40 शहरों की सूची में शामिल हैं, जहां प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक है और उनके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है.
सुमन मुखोपाध्याय निर्देशित वृतचित्र ‘कोलकाता 2070’ का भारत चेंबर ऑफ कामर्स में प्रदर्शन किया गया. जिसमें इसके बारे में बताया गया है कि इस वृतचित्र का निर्माण सेंटर फॉर कंटेमप्रोरी कम्युनिकेशन व जर्मन दूतावास के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. उल्लेखनीय है कि इस वृतचित्र का प्रदर्शन भारत चेंबर ऑफ लेडिज सर्किल की ओर से चेंबर सभागार में किया गया.
33 मिनट के इस वृतचित्र में कबीर सुमन ने अपने अंदाज में पूरी कहानी को बंया किया है. सेंटर फॉर कंटेमप्रोरी कम्युनिकेशन की निदेशक मल्लिका जालान ने कहा कि हम अनजाने में ही प्रदूषण को बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं जिसकी रोकथाम के लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आकर पहल करने की जरूरत है. वहीं जर्मन उच्चायुक्त जुर्गेन थामस स्कार्ड ने तकनीक के सही इस्तेमाल की जरूरत पर बल दिया. कार्बन उत्सर्जन सभी के लिए खतरे की घंटी है. इसके लिए जागरूकता की जरूरत है.
उल्लेखनीय है कि बहुमंजिली इमारतों के अंधाधुंध निर्माण व जलाशयों की भरायी की वजह से सुंदरवन का इलाका समुद्र में विलीन होने के कगार पर है. जो स्थिति वहां की हाेगी, वही आनेवाले समय में कोलकाता की भी होने की संभावना है. चेंबर के अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने भी कोलकाता की बद से बदतर होती स्थिति व कोलकाता की हृदय स्थली कहे जानेवाले मैदान इलाके के प्रदूषण स्तर के बढ़ने पर चिंता जतायी.
साथ ही उन्होंने अधिकारियों से इस विषय को गंभीरता से लेेने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि इस खतरे से सभी को आगाह करने की जरूरत है, नहीं तो आनेवाले समय में सिटी ऑफ जाॅय ही नहीं, समूचे पर्यावरण पर इसका व्यापक असर पड़ेगा.

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