कोलकाता : हावड़ा ब्रिज के 75 साल पूरे हाेने पर विक्टोरिया मेमोरियल हॉल के मुख्यद्वार में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट व टाटा स्टील कंपनी की ओर से एक हेरिटेज प्रदर्शनी का उदघाटन किया गया. प्रदर्शनी में कलकत्ता को हावड़ा से जोड़ने के लिए हुगली नदी पर बने इस अति प्राचीन ब्रिज के इतिहास को दिखाया गया […]
कोलकाता : हावड़ा ब्रिज के 75 साल पूरे हाेने पर विक्टोरिया मेमोरियल हॉल के मुख्यद्वार में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट व टाटा स्टील कंपनी की ओर से एक हेरिटेज प्रदर्शनी का उदघाटन किया गया. प्रदर्शनी में कलकत्ता को हावड़ा से जोड़ने के लिए हुगली नदी पर बने इस अति प्राचीन ब्रिज के इतिहास को दिखाया गया है.
इस अवसर पर विक्टोरिया मेमोरियल के निदेशक जयंत सेनगुप्ता, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के चेयरमैन विनीत कुमार व टाटा स्टील के इनवेस्टमेंट एंड न्यू वेंचर के समूह निदेशक दिव्येंदू बोस बतौर उदघाटनकर्ता शामिल थे. इस अवसर पर हावड़ा ब्रिज-एन आइकन इन स्टील पुस्तक काे भी प्रदर्शित किया गया है. इसका प्रकाशन हावड़ा ब्रिज के निर्माण में लोहे की आपूर्ति करनेवाली भारतीय कंपनी टाटा स्टील ने किया है. पुस्तक की लेखिका अदिति राय ने इस पुस्तक में हावड़ा ब्रिज के इतिहास के बारे में रोचक व प्रामाणिक तथ्यों का इस पुस्तक में उल्लेख किया है.
सबसे पहले 1894 में पानटन िब्रज से जुड़े थे हावड़ा व कोलकाता
हुगली नदी पर हावड़ा ब्रिज से पहले 1874 में पानटन ब्रिज था. जिससे 200 फीट ऊंचे जहाज आवाजाही कर सकते थे. इस ब्रिज को पोर्ट ट्रस्ट के इंजीनियर जॉन स्काट ने तैयार किया था. बाद में हावड़ा ब्रिज को 3 फरवरी, 1943 को आम लोगों को समर्पित किया गया था. द्वितीय विश्व युद्ध के समय पर्ल हार्बर की घटना के बाद जापानियों की नजर इस ब्रिज पर भी थी. इसे ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश सेना के बैलून कमांड ने सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली थी. सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है
कि हावड़ा ब्रिज भारतीय इंजीनियर सर राजेंद्रनाथ मुखर्जी की परिकल्पना थी. वह ब्रिटिश इंजीनियरिंग कंपनी ब्रेथवेट बर्न एंड जेसप कंपनी के संस्थापकों में से एक थे. हावड़ा ब्रिज के लिए अनुशंसा करनेवाली कमेटी को उनके नाम पर ‘मुखर्जी कमेटी’ रखा गया था. इतना ही नहीं सर अारएन मुखर्जी ने ही विक्टोरिया मेमोरियल व बेलुर मठ जैसे विश्वस्तरीय उत्कृष्ट भवनों का नक्शा तैयार किया था.