फ्लाइओवर के गिरने के लगभग दो साल बाद आयी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट
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बड़ाबाजार फ्लाइओवर को ध्वस्त करने के पक्ष में हैं विशेषज्ञ
फ्लाइओवर के गिरने के लगभग दो साल बाद आयी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट कोलकाता : आइआइटी, खड़गपुर के विशेषज्ञों की टीम ने सिफारिश की है कि विवेकानंद रोड (बड़ाबाजार) फ्लाइओवर को ध्वस्त कर देना ही बेहतर होगा. उन्होंने नये ओवरपास बनाने की संभावना को भी खारिज कर दिया है. अब इस सिफारिश पर राज्य सरकार […]
कोलकाता : आइआइटी, खड़गपुर के विशेषज्ञों की टीम ने सिफारिश की है कि विवेकानंद रोड (बड़ाबाजार) फ्लाइओवर को ध्वस्त कर देना ही बेहतर होगा. उन्होंने नये ओवरपास बनाने की संभावना को भी खारिज कर दिया है. अब इस सिफारिश पर राज्य सरकार को फैसला लेना है. गौरतलब है कि 31 मार्च, 2016 को इस फ्लाइओवर का एक हिस्सा ढह गया था जिसमें 27 लोगों की जान चली गयी. तब से फ्लाइओर जस की तस स्थिति में है.
पिछले साल मई महीने में राज्य सरकार ने विशेषज्ञों के एक पैनल को फ्लाइओवर के भविष्य का आकलन करने के लिए नियुक्त किया था. पैनल की सिफारिश फ्लाइओवर के एक हिस्से के ढहने के लगभग दो वर्षों के बाद आयी है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने भले फ्लाइओवर को सीधे-सीधे ध्वस्त करने की बात न लिखी हो लेकिन उनके कथन का दो टूक मतलब यही निकलता है.
गौरतलब है कि वर्ष 2009 में तत्कालीन वाममोरचा सरकार द्वारा यह परियोजना शुरू की गयी थी और इस पर 200 करोड़ रुपये पहले ही खर्च किये जा चुके हैं.
विशेषज्ञों ने विवेकानंद रोड फ्लाइओवर को फिर से बनाने या मरम्मत की संभावना को किया खारिज
200 करोड़ की राशि खर्च हो चुकी है फ्लाइओवर के निर्माण पर
27 लोगों की मौत हुई थी फ्लाइओवर का एक हिस्सा गिरने से
क्या है सिफारिश
विशेषज्ञों ने फ्लाइओवर को फिर से बनाने या उसकी मरम्मत करने को भी गलत बताया है क्योंकि इसमें काफी खर्च और समय लगेगा. बेहतर होगा कि इसे ध्वस्त ही कर दिया जाये. आइआइटी के विशेषज्ञों के पैनल में प्रोफेसर आनंदप्राण गुप्ता, श्रीमन भट्टाचार्य और स्वपन मजुमदार शामिल थे. अगस्त, 2016 में उन्होंने इस बाबत एक रिपोर्ट दी थी. गत छह महीने में उन्होंने इसकी फिर से जांच की और पाया गया कि फ्लाइओवर वर्ष 2017 के बाद से ट्रैफिक को संभाल नहीं सकेगा. 2025 में यह किसी काम का नहीं रह जायेगा.
क्या कहते हैं स्थानीय जनप्रतिनिधि
इस संबंध में इलाके के पार्षद विजय ओझा कहते हैं कि यह ब्रिज क्षेत्र के लोगों के लिए एक अभिशाप बन गया है. ब्रिज जहां लोगों की सुविधा के लिए होना चाहिए था वहीं यह राजनीतिक घमासान का अखाड़ा बन गया. मानवीय भूल की वजह से गिरा था यह ब्रिज. आज भी लोग जब यहां से गुजरते हैं तो उनकी निगाहें ऊपर की तरफ रहती है.
यदि विशेषज्ञ इसे गिराने के लिए कहते हैं तो वह सही ही होगा, लेकिन लोगों की सुविधा के लिए अविलंब कोई और परियोजना शुरू करनी चाहिए. स्थानीय विधायक स्मिता बक्शी कहती हैं कि विशेषज्ञों की हालिया रिपोर्ट अभी प्रकाशित नहीं की गयी है. लिहाजा उस संबंध में कुछ भी कहना गलत होगा.
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