कोलकाता: बारिश के बावजूद हजारों सिनेप्रेमी प्रसिद्ध फिल्मकार रितुपर्णो घोष को अश्रुपूर्ण विदाई देने के लिए आज यहां सरकारी सांस्कृतिक परिसर ‘नंदन’ के बाहर जुटे. घोष का आज सुबह निधन हो गया. वह पैंक्रिएटाइटिस से पीड़ित थे.
लोगों ने धैर्यपूर्वक तकरीबन एक किलोमीटर लंबी कतार में खडे रहकर इंतजार किया. शोकाकुल लोगों में सभी उम्र के लोग थे. इसमें अच्छी खासी संख्या महिलाओं की थी.
घोष के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित ‘अगुनेर पारोशमणि’ जैसी प्रार्थनाएं और शोक-गीत बजाए गए.
पुलिसकर्मियों को भीड़ से निपटने में भारी मशक्कत का सामना करना पड़ा. भीड़ में सैफो फॉर इक्वैलिटी के सदस्यों समेत अच्छी खासी संख्या में एलजीबीटी (लेस्बियन, समलैंगिक, द्विलिंगी और ट्रांसजेंडरों) मौजूद थे.
वे फिल्म निर्देशक को अपनी श्रद्धांजलि देने के लिए आए थे जिन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए वैकल्पिक सेक्शूऐलिटी के मुद्दों को उठाया था और अपनी यौन तरजीह को कभी नहीं छिपाया.
घोष के साथी और बांग्ला सिनेमा के उनके मित्र, जिनमें निर्देशक, अभिनेता, निर्माता, गायक, गीतकार, कवि और संगीतकार शामिल हैं, उनके शव के निकट खड़े रहे. लोगों ने उनकी पार्थिव देह पर पुष्पांजलि अर्पित की.