कोलकाता : काफी वक्त गुजर जाने एवं काफी टालमटोल के बाद आखिरकार सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों के रिटायर होने की उम्र 62 वर्ष से बढ़ा कर 65 वर्ष करने का फैसला कर लिया है. इस फैसले को लोकसभा चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद लागू किया जायेगा. कुछ महीने पहले डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) ने एक निर्देश जारी करते हुए यह उल्लेख किया था कि मेडिकल कॉलेजों के शिक्षण विशेषज्ञ चिकित्सकों के रिटायर होने की उम्र बढ़ा कर 65 वर्ष की जा सकती है.
इस संबंध में अंतिम फैसला मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा इस साल मालदा व मुर्शिदाबाद के मेडिकल कॉलेजों एवं उत्तर 24 परगना के कमरहट्टी स्थित सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज व जोका इएसआइ अस्पताल के प्रथम वर्ष के छात्रों का एडमिशन कैंसिल किये जाने के बाद किया गया. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने बुनियादी सुविधाओं एवं मेडिकल शिक्षकों की कमी की ओर उंगली उठायी थी. सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले को मंजूरी दे दी है.
मुख्यमंत्री के पास स्वास्थ्य विभाग भी है. राज्य स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में लगभग 500 शिक्षकों की कमी है, जिनमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर के पद शामिल हैं. इसके साथ ही जनरल मेडिसिन, जनरल सजर्री, एनाटोमी, रेडियोलॉजी इत्यादि विभागों में लगभग 400 सुपर स्पेशयिलटी पद रिक्त पड़े हुए हैं.
राज्य स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बिहार, झारखंड एवं दिल्ली जैसे राज्यों ने पहले ही मेडिकल शिक्षकों के रिटायर होने की उम्र बढ़ा कर 65 वर्ष कर दी है, जबकि प्राइवेट सेक्टर में रिटायर होने की उम्र 70 वर्ष है. राज्य में एमबीबीएस की सीटों की संख्या बढ़ी है. फलस्वरूप सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की जरूरत है.
हाल ही में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने मुर्शिदाबाद के बहरमपुर मेडिकल कॉलेज, कल्याणी स्थित कॉलेज ऑफ मेडिसिन, कमरहट्टी स्थित सागर दत्ता स्टेट जनरल अस्पताल एवं मालदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में से प्रत्येक में 100-100 मेडिकल सीटें बढ़ाने की मंजूरी दी है. डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन डॉ एसएन बनर्जी ने बताया कि इस संबंध में एक निर्देश जारी किया जा चुका है. इस फैसले को लोकसभा चुनाव के बाद हम लोग लागू करेंगे.