हर व्यक्ति की शिकायत उसके क्षेत्न के संबंधित थानों में दर्ज की जाती है. साइबर अपराध से जुड़े मामले में शिकायत सिर्फ साइबर थाना में दर्ज होगी, ऐसी बात नहीं है. पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत कमिश्नरेट के किसी भी थाने में दर्ज करा सकता है. मामले की जांच साइबर थाना के अधिकारी करते है, क्योंकि वे इस विषय में विशेषज्ञ होते है. उन्हें इन मुद्दों को सुलझाने का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त होता है.
सभी 12 आरोपी अब तक न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है. कमिश्नरेट पुलिस के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि पकड़े गये आरोपियों से पूछताछ के लिए उड़ीसा, झारखंड, बिहार आदि राज्यों की पुलिस के साथ ही पश्चिम बंगाल के विभिन्न थानों के पुलिस अधिकारी यहां आये थे. साइबर क्र ाईम का घटनास्थल (पोस्ट ऑफ आकरेन्स, पीओ) साइबर स्पेस होता है. अपराधी एक जगह बैठे ही पूरी दुनियां में अपराध कर सकता है. उन्होंने कहा कि सोशल नेटवर्किंग से जुड़े अपराध में शिकायत मिलने के तीन दिन के अंदर ही मामले का डिटेक्शन हो जाता है.
इसमें इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) एड्रेस का पता लगाकर उस डिवाइस को तत्काल खोज निकाला जाता है. जिसके जरिये दुरु पयोग किया जाता है. ऑन लाईन ठगी में आम नागरिक को जागरूक होना होगा. बगैर आम नागरिक के सहयोग के ऑन लाईन ठगी पर रोक लगाना कठिन है. आम नागरिक किसी भी अंजान व्यक्ति को फोन पर अपनी बैंक की सारी जानकारी उपलब्ध करा देता है. जिसके बाद वह ठगी का शिकार हो जाता है. साइबर थाना ने इस मामले में दो बड़ी उपलब्धियां हासिल की है. जिसके उपरांत इस तरह के अपराध पर काफी अंकुश लगा है.