28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

साइबर क्राइम डिटेक्शन में आसनसोल पुलिस कमीश्नरेट राज्य में पहले नंबर पर, एक साल में मात्र 36 मामले दर्ज

आसनसोल: आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट (एडीसीपी) अंतर्गत साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में शत प्रतिशत डिटेक्शन कर साइबर थाना राज्य में पहले नंबर पर है. पुलिस आयुक्त एलएन मीणा ने बताया कि साइबर अपराध से जुड़े जो भी मामले थाना के साथ ही कमिश्नरेट के अन्य थानों में अब तक दर्ज हुए है, सभी मामलों […]

आसनसोल: आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट (एडीसीपी) अंतर्गत साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में शत प्रतिशत डिटेक्शन कर साइबर थाना राज्य में पहले नंबर पर है. पुलिस आयुक्त एलएन मीणा ने बताया कि साइबर अपराध से जुड़े जो भी मामले थाना के साथ ही कमिश्नरेट के अन्य थानों में अब तक दर्ज हुए है, सभी मामलों का डिटेक्शन साइबर थाना के अधिकारियों ने किया है.
वर्ष 2011 में पुलिस कमिश्नरेट गठन के उपरांत ऑन लाईन ठगी और सोशल नेटवर्किग के दुरु पयोग को रोकने के लिए साइबर सेल की स्थापना हुई. कार्य के बढ़ते दायित्व को देखते हुए वर्ष 2015 में साइबर सेल को साइबर थाना का दर्जा दिया गया. नवंबर, 2016 से 22, अक्तूबर, 2017 तक साइबर थाना में सिर्फ 36 मामले ही दर्ज कराये गये हैं. पुलिस आयुक्त श्री मीणा ने बताया कि कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत लेकर आता है तो उसे वापस नहीं भेजा जाता है.

हर व्यक्ति की शिकायत उसके क्षेत्न के संबंधित थानों में दर्ज की जाती है. साइबर अपराध से जुड़े मामले में शिकायत सिर्फ साइबर थाना में दर्ज होगी, ऐसी बात नहीं है. पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत कमिश्नरेट के किसी भी थाने में दर्ज करा सकता है. मामले की जांच साइबर थाना के अधिकारी करते है, क्योंकि वे इस विषय में विशेषज्ञ होते है. उन्हें इन मुद्दों को सुलझाने का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त होता है.

उन्होंने बताया कि हीरापुर थाना कांड संख्या 229/17 और आसनसोल साउथ थाना कांड संख्या 286/17 में कुल 12 आरोपी पकड़े गये और उनके पास से साइबर अपराध से जुड़े भारी संख्या में दस्तावेज बरामद किये गये. ये दोनों मामले राष्ट्रीय स्तर के थे. जिसे दोनों थानों के सहयोग से साइबर थाना के अधिकारियों ने डिटेक्ट किया था.

सभी 12 आरोपी अब तक न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है. कमिश्नरेट पुलिस के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि पकड़े गये आरोपियों से पूछताछ के लिए उड़ीसा, झारखंड, बिहार आदि राज्यों की पुलिस के साथ ही पश्चिम बंगाल के विभिन्न थानों के पुलिस अधिकारी यहां आये थे. साइबर क्र ाईम का घटनास्थल (पोस्ट ऑफ आकरेन्स, पीओ) साइबर स्पेस होता है. अपराधी एक जगह बैठे ही पूरी दुनियां में अपराध कर सकता है. उन्होंने कहा कि सोशल नेटवर्किंग से जुड़े अपराध में शिकायत मिलने के तीन दिन के अंदर ही मामले का डिटेक्शन हो जाता है.

इसमें इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) एड्रेस का पता लगाकर उस डिवाइस को तत्काल खोज निकाला जाता है. जिसके जरिये दुरु पयोग किया जाता है. ऑन लाईन ठगी में आम नागरिक को जागरूक होना होगा. बगैर आम नागरिक के सहयोग के ऑन लाईन ठगी पर रोक लगाना कठिन है. आम नागरिक किसी भी अंजान व्यक्ति को फोन पर अपनी बैंक की सारी जानकारी उपलब्ध करा देता है. जिसके बाद वह ठगी का शिकार हो जाता है. साइबर थाना ने इस मामले में दो बड़ी उपलब्धियां हासिल की है. जिसके उपरांत इस तरह के अपराध पर काफी अंकुश लगा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें