कोलकाता: वन विभाग सुंदरवन में डॉल्फिन के सर्वेक्षण की घोषणा पहले ही कर चुका है. विभाग ने डॉल्फिन के साथ-साथ दुनिया के इस सबसे बड़े मैनग्राेव इलाके में पाये जानेवाले पक्षियों की सभी प्रजातियों की भी सर्वेक्षण करवाने की तैयारी कर रहा है.
सुंदरवन बायोस्फियर रिजर्व के निदेशक डाॅ आरपी सैनी कहते हैं कि हमारा सर्वे केवल सुंदरवन में पाये जानेवाले पक्षियों की प्रजातियों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका दायरा प्रवासी प्रजातियों तक होगा. श्री सैनी ने बताया कि पक्षी प्रजातियों के सर्वे के काम में विशेषज्ञों की सहायता ली जायेगी.
डॉल्फिनों को बचाने में हमसे आगे है बांग्लादेश
बांग्लादेश वन विभाग ने अपने यहां डॉल्फिन की आबादी को बचाने के लिए तीन अभयारण्य बनाये हैं, पर भारत में अभी तक ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया है. देश की कई नदियों में डॉल्फिन मछुआरों की जाल में फंसती हैं आैर अज्ञानता के कारण उनकी जान चली जाती है.
सुंदरवन में भी कई बार डॉल्फिन को देखने की सूचना मिलने के बाद राज्य वन विभाग ने उनकी संख्या जानने के लिए सर्वे करवाने का फैसला लिया है, जिसके लिए देश-विदेश के विशेषज्ञों की सहायता ली जायेगी. इसके लिए विभाग ने विशेषज्ञों के साथ प्रारंभिक परामर्श आरंभ भी कर दिया है.
सुंदरवन के जीवों व वनस्पतियों की विविधता दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में चिह्नित सुंदरवन हमेशा से शोधकर्ताआें को आकर्षित करता रहा है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाल के दिनों में शोधकर्ताआें का दुनिया के इस सबसे बड़े मैनग्रोव जंगल के प्रति आकर्षण आैर बढ़ा है. पक्षी प्रजातियों व डॉल्फिन के शोध के बाद सुंदरवन के बारे में आैर भी नये तथ्य सामने आयेंगे.