कोलकाता. राज्य सरकार ने निर्णय लिया गया है कि राज्य के अल्पसंख्यक संस्थान आलिया यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक कार्यों का जिम्मा अब अल्पसंख्यक मामले व मदरसा शिक्षा विभाग के तत्वावधान से हटा कर उच्च शिक्षा विभाग में ट्रांसफर किया जायेगा. इस नयी नीति से हालांकि अल्पसंख्यक शिक्षा समुदाय में असंतोष है लेकिन शिक्षा विभाग का दावा है कि ऐसा करने से संस्थान के कामकाज व उसके स्तर पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बल्कि कामकाज में पारदर्शिता आयेगी. कुछ अल्पसंख्यक नेताओं का मानना है कि ऐसा करने से यह समुदाय शिक्षा के मामले में पीछे हो जायेगा. दाखिले की भी समस्या हो सकती है.
पिछले दिनों कैंपस में छात्रों द्वारा बड़े पैमाने पर किये गये प्रतिवाद के कारण एकेडमिक स्तर पर यह कदम उठाया गया. सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना में यह कहा गया कि इस यूनिवर्सिटी के एकेडमिक व प्रशासनिक काम का जिम्मा उच्च शिक्षा विभाग को दिया जा रहा है, इसलिए अब अल्पसंख्यक मामलों से जुड़ा मदरसा शिक्षा विभाग इस जिम्मेदारी से मुक्त है. अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थानों में भर्ती के लिए 17 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है. ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जादवपुर व प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी जैसे शैक्षणिक संस्थानों में मात्र 3 प्रतिशत मुस्लिम छात्र ही दाखिला ले पाते हैं.
लगभग 98 प्रतिशत अल्पसंख्यक छात्र आलिया यूनिवर्सिटी में दाखिला लेते हैं. यह इसलिए संभव है, क्योंकि आलिया यूनिवर्सिटी एक अल्पसंख्यक संस्थान है, जो अब तक अल्पसंख्यक मामलों व मदरसा शिक्षा बोर्ड के अंडर में चलाया जाता रहा. अब इस नये बदलाव के बाद ज्यादा अल्पसंख्यक छात्र आलिया में दाखिला नहीं ले पायेंगे. इसी को लेकर अल्पसंख्यक छात्रों में असंतोष पनप रहा है. अब नयी रणनीति से आलिया यूनिवर्सिटी का कामकाज होगा.