कोलकाता: कविगुरू रविंद्रनाथ टैगोर की यादों को सजोने का कार्य पूर्व रेलवे प्रशासन ने बखूबी किया है. कविगुरू की 150वीं जयंती को देश मना चुका है, लेकिन पूर्व रेलवे प्रशासन ने गीतांजली रेल संग्रहालय के माध्यम से बंगाल की वर्तमान ही नहीं, आने वाले हजारों पीढ़ियों के लिए सजोए रखने का माध्यम उपलब्ध करा दिया […]
कोलकाता: कविगुरू रविंद्रनाथ टैगोर की यादों को सजोने का कार्य पूर्व रेलवे प्रशासन ने बखूबी किया है. कविगुरू की 150वीं जयंती को देश मना चुका है, लेकिन पूर्व रेलवे प्रशासन ने गीतांजली रेल संग्रहालय के माध्यम से बंगाल की वर्तमान ही नहीं, आने वाले हजारों पीढ़ियों के लिए सजोए रखने का माध्यम उपलब्ध करा दिया है. 2010 में स्थापित इस म्यूजियम में वह रेल सैलून कार को संरक्षित करके रखा गया है, जिसका इस्तेमाल 1941 में बीमार कविगुरू को बोलपुर स्टेशन से कोलकाता ले जाने के लिए किया गया था. बीमारी का इलाज के लिए कविगुरू ने इसी सैलून में अपनी आखिरी रेल यात्रा की थी.
जुलाई 1941 में अपनी आखिरी यात्रा के बाद हमेशा के लिए शांति आश्रम को छोड़ कर चलते बने. कोलकाता पहुंचकर 7 अगस्त 1941 को कविगुरू रविंद्रनाथ टैगोर का निधन हो गया था. पूर्व रेलवे प्रशासन ने उस रेल सैलून कार को संरक्षित करके रखा है, क्योंकि यह महाकवि की रेलवे के पास आखिरी निशान के रूप में है.
कविगुरु रविंद्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती पर श्रद्धांजलि आर्पित करते हुए रेल मंत्रालय ने बोलपुर स्टेशन (शांतिनिकेतन) के सामने गीतांजली रेल संग्रहालय का निर्माण करवाया था. 2010 में संग्रहालय की स्थापना की नींव रखने के दो वर्ष बाद अगस्त 2012 में इस अद्भुत विरासती संग्रहालय को सार्वजनिक तौर पर आम जनता के लिए खोल दिया गया. कविगुरू की याद दिलाता गीतांजली म्यूजियम अपने स्थापना काल से ही लोगों का आकृष्ट करता रहा है. बुधवार को छोड़कर यह म्यूजियम हर दिन सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक जबकि दुसरी पारी में दोपहर 2.30 बजे से लेकर शाम पांच बजे तक खुला रहता है.
1830 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला संग्रहालय को दो मंजिला बनाया गया है. भूतल सभागार में कवि गुरू की 35 से ज्यादा दुर्लभ तस्वीरें, उनकी गद्य और कविताओं के फ्रेम किए हुए 48 लेख को रखा गया है. संग्रहालय की पहली मंजिल पर, शांतिनिकेतन आश्रम के शिक्षकों का पहला बैच, कवि की उनके सहयोगियों के साथ की 153 दुर्लभ तस्वीरें संग्रहीत किया गया है. यह सभी तस्वीरें ऐतिहासिक और दुर्लभ हैं.
दो मंजिला यह आधुनिक संग्रहालय शांतिनिकेतन आश्रम के उत्तर परिसर के उदयन भवन में बनाया गया है. पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रवि महापात्रा ने बताया कि संग्रहालय में जाने के लिए पर्यटकों से कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है. यह संग्रहालय कविगुरू रविंद्रनाथ टैगोर की यादों के सबसे करीब है. यहां उनके जीवन से जुड़ी हजारों दुर्लभ तस्वीरें, कृतियों और वस्तुओं को रखा गया है. श्री महापात्रा ने बताया कि संग्रहालय में वह देश के विभिन्न क्षेत्रों और विदेशों से आनेवाले पर्यटकों द्वारा इस उन्नत गैलरी की सराहना की गयी है.