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BENGAL : डीए के नाम पर राजनीति कर रही हैं ममता : दिलीप घोष
राज्य के सरकारी कर्मचारियों का जानवरों से तुलना करना निंदनीय : दिलीप घोष मुख्यमंत्री की भाषा शैली को लेकर सवाल उठाया कोलकाता : लंबे इंतजार के बाद राज्य सरकार के कर्मचारियों की डीए की मांग आंशिक ही सही पूरी हुई. गुरुवार को नजरूल मंच में ममता बनर्जी ने एलान किया था कि बकाया डीए में […]
राज्य के सरकारी कर्मचारियों का जानवरों से तुलना करना निंदनीय : दिलीप घोष
मुख्यमंत्री की भाषा शैली को लेकर सवाल उठाया
कोलकाता : लंबे इंतजार के बाद राज्य सरकार के कर्मचारियों की डीए की मांग आंशिक ही सही पूरी हुई. गुरुवार को नजरूल मंच में ममता बनर्जी ने एलान किया था कि बकाया डीए में से 15 फीसदी जनवरी महीने से देना शुरू हो जायेगा.
इसके साथ ही उन्होंने बाकी का डीए भी जल्द ही देने का आश्वासन दिया है. मुख्यमंत्री के इस फैसले पर कटाक्ष करते हुए प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को डीए देने का एलान राजनीति से प्रभावित है.
मुख्यमंत्री इसको लेकर राजनीति कर रही हैं. पंचायत चुनाव के पहले लोगों को रिझाने के लिए ममता बनर्जी ने इस तरह की घोषणा की है, क्योंकि मुख्यमंत्री अक्सर राज्य सरकार के खाली खजाने का जिक्र कर पूर्व की सरकार को कोसती रहती हैं. एेसे में ऋृण का इतना बोझ रहते हुए कर्मचारियों को डीए देने का एलान महज सांत्वना के अलावा कुछ नहीं है.
राज्य सरकार डीए दे या नहीं दे, यह उनका फैसला है. बकाया डीए की मांग करना सरकारी कर्मचारियों का अधिकार है. लेकिन सरकारी कर्मचारियों का कुत्ते के साथ तुलना करना निंदनीय है. इस प्रकार के बयान की जितनी भी निंदा की जाये, वह कम है.
ऐसी ही प्रतिक्रिया प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने दी. शुक्रवार को बारासात में एक पार्टी कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए श्री घोष ने कहा कि राज्य सरकार बकाया डीए का भुगतान नहीं कर पा रही है, यह उनकी समस्या है.
लेकिन, बकाया डीए की मांग करना तो कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है. मुख्यमंत्री ने जिस अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए कुत्ते व बिल्ली के साथ सरकारी कर्मचारियों की तुलना की है, वह निंदनीय है. सरकारी कर्मचारियों के बकाया डीए की राशि बढ़ कर 71 हजार करोड़ रुपये हो गयी है, वह इसकी मांग कर ही सकते हैं.
वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा जनवरी से सरकारी कर्मचारियों के डीए में 15 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा पर कटाक्ष करते हुए श्री घोष ने कहा कि अगर राज्य सरकार कर्ज में ही डूबी हुई है तो ऐसी परिस्थिति में डीए में 15 प्रतिशत की वृद्धि पंचायत चुनाव के पहले उनका मन जीतने का प्रलोभन है. वर्ष 2019 से पहले उन्होंने बकाया डीए का भुगतान करने का भी आश्वासनदिया है, यह सिर्फ वोट बैंक की राजनीति है. इसका राजनीतिक लाभ उठाने के लिए ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह घोषणा की है.
मुकुल राय ने अब तक पार्टी से कोई संपर्क नहीं किया
मुकुल राय के भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगाते हुए श्री घोष ने कहा कि भाजपा का दरवाजा खुला हुआ है, इसमें कोई भी आ सकता है. लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि मुकुल राय ने अब तक पार्टी से कोई संपर्क नहीं किया है. इसलिए इस बारे में टिप्पणी करना सही नहीं है.
सीएम के बयान की मोहम्मद सलीम ने की आलोचना
माकपा सांसद मोहम्मद सलीम ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वक्तव्य की आलोचना की है. गत गुरुवार को मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि अगले वर्ष जनवरी से सरकारी कर्मचारियों को बकाया डीए में से 15 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा.
आरोप लगाया गया कि उपरोक्त घोषणा के दौरान उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के प्रति शोभनीय भाषा का प्रयोग नहीं किया. माकपा नेता ने कहा कि एक मुख्यमंत्री की बात को लाखों लोग सुनते हैं, पढ़ते हैं ऐसे में कथित अशोभनीय भाषा का प्रयोग उचित नहीं है. तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की भाषा शैली से पार्टी की नीतियों का अंदाजा लगाया जा सकता है.
इधर बकाया डीए के भुगतान की घोषणा के विषय में माकपा नेता ने सवाल उठाया कि यदि जनवरी महीने से बकाया डीए का 15 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा तो इसकी घोषणा इतने पहले क्यों की गयी? आरोप के अनुसार तृणमूल सरकार द्वारा हमेशा असली मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश की जाती है. देश का शायद ही ऐसा कोई राज्य होगा जहां सरकारी कर्मचारियों का करीब 54 प्रतिशत डीए बकाया होगा. माकपा नेता ने राज्य में बाढ़ से पीड़ितों की सहायता को लेकर राज्य सरकार की भूमिका को उदासीन बताया है.
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