कोलकाता: विकास के मामले में भले ही मालदा व बीरभूम राज्य के अन्य जिलों से बहुत आगे नहीं हैं, पर पुलिस जिलों के तबादले के मामले में इन दो जिलों का रिकॉर्ड राज्य के अन्य जिलों के मुकाबले काफी ऊंचा है.
एक दो-बार नहीं, बल्कि पिछले तीन वर्षो में इन दो जिलों के पुलिस सुपर का पांच-पांच बार तबादला हो चुका है. 2011 में हुए विधानसभा चुनाव के समय से इन दो जिलों ने इस मामले में अन्य जिलों से बाजी मार ली है. 2011 में विधानसभा चुनाव से पहले मालदा के पुलिस सुपर भुवन मंडल को हटा कर उनकी जगह पर जयंत पाल को नियुक्त किया गया था. कांग्रेस ने उन पर तृणमूल के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया था. 2011 में विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया.
कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़नेवाले कृष्णोंदु चौधरी तृणमूल में शामिल हो गये. कांग्रेस से उनके इस्तीफा देने के बाद 2012 में हुए उपचुनाव के समय जयंत पाल पर श्री चौधरी के पक्ष में काम करने का आरोप लगने पर उन्हें हटा कर कल्याण मुखोपाध्याय को मालदा का पुलिस सुपर बना दिया गया.
पिछले वर्ष हुए पंचायत चुनाव के समय श्री मुखोपाध्याय पर भी पक्षपात करने का आरोप लगा. पंचायत चुनाव के बाद उन्हें हटा कर राजेश यादव को जिला पुलिस सुपर की कुर्सी पर बिठा दिया गया. अब चुनाव आयोग ने राजेश यादव को हटा कर रूपेश कुमार को मालदा का जिला सुपर बनाने का निर्देश जारी किया है.
पुलिस सुपर हटाने के मामले में बीरभूम का रिकॉर्ड मालदा जैसा ही है. लोबा कांड के कारण सबसे पहले ऋषिकेश मीणा को हटना पड़ा था. उनके स्थान पर मुरलीधर शर्मा को जिला पुलिस सुपर बनाया गया. पंचायत चुनाव के बाद उन्हें हटा कर सी सुधाकर को नियुक्त किया गया. कुछ महीने पहले हुए लाभपुर सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद उन्हें हटा कर आलोक राजोरिया को बीरभूम का पुलिस सुपर बनाया गया. अब चुनाव आयोग के निर्देश पर उन्हें हटा कर बीरभूम जिला पुलिस की कमान रशीद मुनीर खान को सौंपनी पड़ेगी.