नयी दिल्ली/कोलकाता. भारत और बांग्लादेश ने सीमा के आर-पार अपराध को रोकने और अंतरराष्ट्रीय सरहद के बीच पड़नेवाले 250 से ज्यादा गांवों की सुरक्षा के लिए बाड़ लगाने का 95 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है. अधिकतर गांव पश्चिम बंगाल में हैं, जबकि कुछ भारत के अन्य प्रदेशों में हैं, जिनकी सरहद बांग्लादेश से लगती है.
बीएसएफ के महानिदेशक केके शर्मा ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना पर पिछले साल बीएसएफ के समकक्ष बीजीबी के साथ बैठक में विचार किया गया था और इसे कार्यान्वित किया गया है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नदी से लगनेवाले कुछ इलाकों को इससे बाहर रखा गया है. जैसे असम में करीमगंज.
बीएसएफ के महानिदेशक ने एक साक्षात्कार में कहा : 95 प्रतिशत स्थान (नये बाड़ के) दायरे में आ गये हैं. बचे हुए स्थानों पर काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि दोनों बल जहां तक हो सके सरहद के आर-पार अपराधों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहे हैं. भारतीय पक्ष भी सरहद पर हत्याओं की घटनाओं को कम करने की कोशिश कर रहा है.
पशु तस्करी में आयी है कमी
बीएसएफ के महानिदेशक श्री शर्मा ने कहा : भारत और बांग्लादेश तथा सीमा की रखवाली करनेवाले दोनों बलों के बीच रिश्ते अभी बेहतरीन हैं. जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो यह संबंधों में बेचैनी पैदा करते हैं. हम सीमा की शुचिता और दोनों ओर के लोगों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. पशु तस्करी की घटनाएं प्रति वर्ष 23 लाख के उच्च आंकड़े से घट कर पांच-छह लाख हो गयी हैं. उन्होंने कहा : हम जितना इसे कम कर सकते हैं उतना कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. पिछले साल अक्तूबर में सीमा सुरक्षा बल और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के बीच यहां हुई महानिदेशक स्तर की साल में दो बार होनेवाली वार्ता में नये बाड़ लगाने का ‘प्रमुख फैसला’ किया गया था. यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से पहले 148 गांवों को पूरी तरह से और 137 गांवों को आंशिक तौर प्रभावित करेगा. दोनों देशों की बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सरहद है.