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अब फ्लैट खरीदनेवालों से धोखाधड़ी करना होगा मुश्किल

कोलकाता: हर किसी की यह ख्वाहिश होती है कि उसका एक अपना आशियाना हो. पर कई लोगों के इस सपने पर कुछ बेईमान व धोखेबाज प्रमोटर डाका डाल देते हैं. लोगों की जिंदगी भर की कमाई भी चली जाती है आैर उन्हें फ्लैट भी नहीं मिलता. पर अब शायद ऐसा न हो, क्योंकि स्वास्थ्य आैर […]

कोलकाता: हर किसी की यह ख्वाहिश होती है कि उसका एक अपना आशियाना हो. पर कई लोगों के इस सपने पर कुछ बेईमान व धोखेबाज प्रमोटर डाका डाल देते हैं. लोगों की जिंदगी भर की कमाई भी चली जाती है आैर उन्हें फ्लैट भी नहीं मिलता. पर अब शायद ऐसा न हो, क्योंकि स्वास्थ्य आैर शिक्षा के बाद अब राज्य सरकार की नजर आवासन क्षेत्र पर है. आम लोग उचित कीमत पर बगैर किसी धोखाधड़ी के शिकार हुए फ्लैट खरीद सकें, इसके लिए राज्य सरकार नया कानून लाने जा रही है.
प्रमोटरों द्वारा उपभोक्ताआें से धोखाधड़ी किये जाने की शिकायतें आम हो गयी हैं. कभी कोई प्रमोटर पैसे लेकर ही गायब हो जाता है, तो कोई उपभोक्ता किसी प्रमोटर की दबंगई का शिकार हो जाता है. प्रशासन के पास शिकायतों का ढेर लग गया है. आम जनता को बेईमान लोगों से बचाने के लिए ही सरकार नया कानून बनाने जा रही है.

सिंडिकेट राज से भी सुरक्षा
राज्य सरकार रियल इस्टेट के क्षेत्र में पारदर्शिता पर जोर दे रही है. इस कानून के द्वारा जहां एक आेर आम लोगों को प्रमोटरों की बेईमानी व धोखाधड़ी से बचाया जायेगा. वहीं इस कानून में प्रमोटरों को सिंडिकेट राज से सुरक्षा प्रदान किये जाने का प्रावधान भी रखा जायेगा. ‘द वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्री रेगुलेशन बिल 2017’ 16 अगस्त को विधानसभा में पेश किया जायेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बिल के पास हो जाने पर हाउसिंग सेक्टर में काफी हद तक पारदर्शिता आ जायेगी.
क्या होगा खास
सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित कानून में प्रत्येक निर्माण संस्था तो रियल इस्टेट ऐप्लेट संस्था के नाम से रजिस्टर्ड करना होगा. निर्धारित समय पर ऐसा नहीं करने पर परियोजना के कुल खर्च का 10 प्रतिशत जुर्माने के रूप में भरना होगा. प्रस्तावित कानून में कहा गया है कि प्रमोटर संस्था को फ्लैट के लिए खरीदार से लिया गया पैसा एक अलग फंड में रखना होगा. फ्लैट के मुद्दे पर अगर विवाद होता है, तो सूद समेत पैसा वापस करना होगा. फ्लैट स्थानांतरण होने के बाद निर्माण जनित त्रुटि दिखायी पड़ने पर प्रमोटर को बगैर खर्च लिये उसे ठीक करना होगा. फ्लैट की बुकिंग हो जाने के बाद खरीदार की अनुमति के बगैर नक्शे में बदलाव नहीं किया जा सकेगा. समझौते के अनुसार निर्धारित समय पर अगर प्रमोटर फ्लैट नहीं दे पाता है, तो खरीदार उस समझौते को रद्द कर सकता है.
प्रमोटरों का भी रखा जायेगा ध्यान : ऐसी बात नहीं है कि इस प्रस्तावित कानून द्वारा केवल खरीदारों के हितों का ही ख्याल रखा जायेगा. प्रमोटरों के हित का भी ख्याल रखने पर ध्यान दिया गया है. प्रस्तावित कानून के अनुसार अगर समझौते के अनुसार खरीदार समय पर रुपये की अदायगी नहीं कर पाता है, तो प्रमोटर समझौता रद्द कर सकता है. खरीदार अगर समझौता रद्द नहीं करना चाहता है, तो प्रमोटर समझौता अनुसार निर्धारित समय गुजर जाने के बाद से सूद ले सकता है.

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