कोलकाता: महानगर में बड़ी संख्या में ऐसी पुरानी इमारतें है, जिनकी हालत बेहद जर्जर है. कइयों को तो निगम स्वयं खतरनाक घोषित कर चुका है. इसके बावजूद उक्त इमारतों से लोग हटने के लिए तैयार नहीं है. इस तरह की जर्जर इमारतों में हादसे भी हो चुके हैं, जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है. इस स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य सरकार ने एक कानून बनाया है, जिसके तहत इन जर्जर इमारतों के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी कोलकाता नगर निगम अपने हाथ में लेगा. इस कानून के अनुसार निगम मालिक मकान आैर किरायेदारों को पुनर्निमाण के लिए राजी करेगा. अगर वह लोग राजी नहीं होंगे तो निगम स्वयं किसी प्रमोटर से उसका निर्माण करायेगा. इसके लिए टेंडर जारी किया जायेगा. निर्माण के बाद मालिक मकान व किरायेदार को उनकी जगह मिल जायेगी.
नया बिल्डिंग कानून लागू तो नहीं हुआ है, पर शहर के विभिन्न इलाकों में स्थित जर्जर इमारतों में गतिविधि शुरू हो चुकी है. मकान मालिक और किरायेदारों के बीच नये सिरे से विवाद आरंभ होने की भी खबर सामने आ रही है. निगम के बिल्डिंग विभाग को किरायेदारों को धमकाने की भी सूचना मिली है. महानगर के मौलाली क्रासिंग के करीबी 121 नंबर लेनिन सरणी पर स्थित एक पुरानी इमारत का भी एक मामला सामने आया है. लगभग सौ वर्ष पुरानी इस इमारत को भी निगम खतरनाक घोषित कर चुका है. इस इमारत के किरायेदार अनुतोष कुमार मंडल उर्फ डाबू का कहना है कि हम लोग यहां कई दशकों से रह रहे हैं. पहले इस इमारत के मालिक प्रभात कुमार राय थे. जनवरी 2014 में इसे सिद्धार्थ लैंड एंड बिल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड ने खरीद लिया. जिसके कर्णधार पंकज शाह हैं. श्री मंडल का कहना है कि नया मकान मालिक हम लोगों से किराया नहीं ले रहा है. वह इस इमारत को तोड़ कर नये सिरे से निर्माण करना चाहते हैं, जिस पर हमें कोई आपत्ति नहीं है. पर हमें यहां से हटने के लिए दबाव डाला जा रहा है. हमें धमकी भी दी जा रही है. एक आैर किरायेदार विद्युत बसाक ने कहा कि मेरी यहां एक वर्कशॉप है. मकान मालिक इसे रिहायशी इमारत के रूप में निर्माण करना चाहते हैं, तो ऐसे में हमारे व्यवसाय का क्या होगा. इसके साथ ही वह हम लोगों के साथ कोई एग्रिमेंट भी नहीं करना चाह रहे हैं.
इस संबंध में पूछे जाने पर सिद्धार्थ लैंड एंड बिल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के पंकज शाह ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह लोग किरायेदार नहीं दखलदार हैं. उन्होंने न तो एक पैसा किराया दिया है आैर न ही किसी मामले में सहयोग किया है. धमकी देने का आरोप बिल्कुल गलत है. मेरा सभी के साथ अच्छा संबंध है. 17-18 किरायेदार चले गये हैं. कुछ लोग हैं, जो इमारत के पुननिर्माण में बाधा डाल रहे हैं.
इस तरह के कई मामले श्यामबाजार, बड़ाबाजार, मानिकतला से भी आये हैं. डीजी बिल्डिंग (टू) देवाशीष कुमार ने भी स्वीकार किया कि किरायेदारों को धमकी दिये जाने की सूचना उन तक पहुंची है. पर किसी तरह की लिखित शिकायत किसी ने निगम में दर्ज नहीं करायी है. शिकायत मिलने पर निगम कड़ी कार्रवाई करेगा. हमारा उद्देश्य पुरानी इमारतों का पुनर्निर्माण कर लोगों की जान बचाने के साथ वहां रहने वालों के हितों की रक्षा करना भी है.
2800 इमारतों को खतरनाक घोषित कर चुका है निगम
छह अप्रैल से यह कानून लागू हो चुका है. पर अफसोस अब तक महानगर में यह कानून लागू नहीं किया जा सका है. इस संबंध में कोलकाता नगर निगम के बिल्डिंग विभाग के डीजी (टू) देवाशीष चक्रवर्ती ने बताया कि शहर में यूं तो काफी जर्जर इमारतें है, जिनमें से 2800 को निगम खतरनाक घोषित कर चुका है. इन 2800 में 100 की हालत तो इतनी बुरी है कि इन्हें फौरन तोड़ देना होगा. कानून तो पास हो चुका है. पर अभी तक हम लोग इसके अनुसार काम नहीं कर पाये हैं. प्रक्रिया चल रही है. चूंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है. इसमें समय लगेगा. मालिक मकान व किरायेदार को राजी कराना एक मेहनत का काम है. वह लोग राजी नहीं होंगे तब निगम अपने हाथ में जिम्मेदारी लेगा.