बैठक में राज्य सरकार की ओर से श्रम मंत्री मलय घटक के अलावा सांसद व तृणमूल श्रमिक नेता डोला सेन तथा इंटक, आइएनटीटीयूसी, सीटू व अन्य यूनियनों के प्रतिनिधि तथा कारखाना मालिक भी शामिल थे. श्री घटक ने बताया कि वर्ष 2011 के पहले तक इन श्रमिकों के लिए वेतन का कोई ढांचा नहीं था. वर्ष 2013 में पहला समझौता किया गया था. वर्ष 2016 में यह समझौता लंबित था. नये समझौते के तहत श्रमिकों की पारिश्रमिक मासिक 1208 रुपये बढ़ेगी, जबकि 2017 में मासिक 1416 रुपये और 2018 में 1676 रुपये मासिक बढ़ेगी. इसके कारखानों में करीब 50 हजार श्रमिक काम करते हैं. श्रमिकों के परिजनों को शामिल किया जाये तो करीब ढाई लाख लोगों को इस समझौते से फायदा पहुंचेगा. इसके कारखाने अधिकांश पश्चिमांचल में हैं.
पूर्वी बदर्वान, पश्चिम मेदिनीपुर, पुरुलिया व बांकुड़ा में इसके कारखाने हैं. श्री घटक ने बताया कि वर्ष 2016 का बकाया भी श्रमिकों को मिलेगा. श्रमिकों को अगले महीने से ही लाभ मिलना शुरू हो जायेगा. इंटक के प्रदेश अध्यक्ष रमेन पांडे ने कहा कि पूर्व में श्रमिकों के पारिश्रमिक पर फैसला आने में दो-तीन वर्षों का समय लग जाता था. यह समझौता महज तीन महीने की बातचीत में ही पूरा हो गया. इस समझौते से श्रमिकों का न केवल जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि उनका भविष्य सुरक्षित होने की दिशा में भी यह बड़ा कदम है. श्री पांडेय ने यह भी कहा कि समझौते के क्रियान्वयन में राज्य सरकार खासकर श्रम मंत्री मलय घटक की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रही.