उत्तर 24 परगना जिले के बादुड़िया में सोशल मीडिया पर डाले गये कुछ आपत्तिजनक सामग्री की वजह से दो समुदायों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. सोमवार शाम से इलाके में कई बार हिंसक झड़प की घटनाएं होने के बाद एक पक्ष के लोगों ने मंगलवार को राजभवन में राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात कर राज्य प्रशासन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया. साथ ही राज्यपाल को बताया गया कि भय के कारण लोग घर छोड़ कर भाग रहे हैं. राज्यपाल ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से फोन पर बात की. मुख्यमंत्री ने राज्य सचिवालय में एक संवाददाता सम्मेलन बुला कर आरोप लगाया कि राज्यपाल ने उन्हें धमकाया है.
कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी पर फोन पर धमकी देने एवं अपमानित करने का आरोप लगाया है. मंगलवार को राज्य सचिवालय नवान्न में एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा : राज्यपाल ने मुझे बड़ी-बड़ी बातें कही, जिससे खुद को अपमानित महसूस कर रही हूं. मैं इसकी आदी नहीं हूं. राज्यपाल एक संवैधानिक पद है. उन्हें संविधान के अनुसार काम करना होगा. मैं मुख्यमंत्री हूं. यह भी एक संवैधानिक पद है. मैं राज्यपाल की दया से नहीं, बल्कि जनादेश से सत्ता में आयी हूं. मुझे जनता ने चुना है. राज्यपाल को केंद्र सरकार मनोनीत करती है.
उत्तर 24 परगना जिला के बादुड़िया की घटना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा : जिन्होंने सोमवार से हंगामा शुरू किया है, मैं उनसे कह रही हूं कि आपलोगों की वजह से मुझे काफी बातें सुनने काे मिली है. फेसबुक पर अगर किसी ने कुछ किया है तो उसमें मेरा या मेरी सरकार का क्या दोष है? तृणमूल सरकार ने आपको बहुत सुरक्षा दी है. लेकिन आप यह सोचते हैं कि मैं आपके पक्ष में ही काम करूंगी तो यह सुन लें कि ममता बनर्जी किसी एक के पक्ष में नहीं, बल्कि केवल इंसान के पक्ष में है. साथ ही राज्यपाल को भी यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि वह मुझसे इस तरह बात नहीं कर सकते. राज्यपाल भाजपा ब्लॉक अध्यक्ष की तरह बात कर रहे हैं.
ऐसा क्यों होगा? मैं उनकी नौकर नहीं हूं. मैं यहां एक सरकार चला रही हूं. जनता ने मुझे यहां भेजा है. मैं किसी की दया पर मुख्यमंत्री नहीं बनी हूं. भाजपा, माकपा या कांग्रेस की दया पर नहीं बल्कि जनादेश से मुख्यमंत्री बनी हूं. यदि जनता चाहेगी तो मैं पद त्याग दूंगी. इतना अपमान मैंने कभी जीवन में नहीं सहा. अपमान से परेशान होकर एक बार मैंने पद छोड़ने का विचार कर लिया था. राज्यपाल ने फोन पर धमकाया है. क्या वह निष्पक्ष नहीं रह सकते? राज्यपाल मुझे कानून-व्यवस्था दिखा रहे हैं. मैं किसी की नौकर नहीं हूं, जो इस तरीके से उन्होंने मुझसे बात की. आज राज्य में कोई छोटी घटना हो जाती तो भाजपा वाले उन्हें ज्ञापन सौंप आते हैं. इसके बाद राज्यपाल के मुंह में जो आता है, वह बोल देते हैं. उन्हें याद रखना चाहिए कि वह एक मनोनीत व्यक्ति हैं. संविधान के अनुसार मैं उनका सम्मान करती हूं. उन्हें भी अपना सम्मान बनाये रखना चाहिये.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस ने कहीं-कहीं भूल की है. पुलिस से सोमवार की स्थिति नियंत्रित करने के लिए कह रही हूं. सबसे पहले फेसबुक पर रोक लगा देनी चाहिये थी, पर कितने का फेसबुक बंद करेंगे. यह एक फैशन बन गया है. सोमवार से ही लोगों को काफी समझाया गया. पुलिस भीड़ पर गोली तो नहीं चला सकती है? यदि फायरिंग की जाती तो 100 लोग मारे जाते. पांच-दस लोगों को तो नियंत्रण में लिया जा सकता है, लेकिन दोनाें समुदाय के लोग एक जगह जमा हो जायें तो कैसे गोली चला सकते हैं. लोगों को समझाकर शांत करना जरूरी है या उन पर गोली चलाना? इस प्रकार की घटनाओं में धैर्य रखना पड़ता है. लेकिन मेरे धैर्य को कोई मेरी कमजोरी न समझे. मुख्यमंत्री ने कहा : दोनों समुदाय के लोगों से कह रही हूं कि मैं केवल मुख्यमंत्री बनने के लिए नहीं आयी हूं. मुझे यह कुर्सी छोड़ने में एक सेकंड की भी देर नहीं लगेगी. राज्यपाल से भी आवेदन करती हूं कि वह इस तरह का बर्ताव ना करें. यह बेहद अपमानित है. मैं बहुत छोटी-सी उम्र से राजनीति कर रही हूं. अब इस जगह पहुंच कर मुझे इस तरह अपमानित होना पड़ेगा, यह बर्दाश्त नहीं कर सकती.
मैं इस तरह के धार्मिक नेताआें का सम्मान नहीं करती. मैं रामकृष्ण मिशन, भारत सेवा आश्रम का सम्मान करती हूं, जो लोगों की भलाई के लिए काम करते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद के लोग दंगा कराने का प्रयास कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि देश को नष्ट कर, समाज को बांट कर बाहर जा कर मीठी बात कर रहे हैं. देश में आग लग रही है आैर खुशी मनायी जा रही है. इसे रोकना होगा.
आगे क्या फैसला करना है, यह परिस्थिति देख कर ही तय करेंगे. यह बेहद गंभीर मुद्दा है आैर इसे गंभीरता से संभाला जायेगा.
राज्यपाल ने क्या कहा स्पष्ट करें
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी पर धमकाने का आरोप लगाया है. इस विषय में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी का कहना है कि मुख्यमंत्री को भी राज्यपाल को अपमानित करने का अधिकार नहीं है. मुख्यमंत्री ने जो कुछ भी कहा हम सभी ने सुना लेकिन राज्यपाल ने क्या कहा, यह किसी ने नहीं सुना. मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि राज्यपाल ने आखिर क्या कहा है और कैसे धमकी दी. मीडिया के सामने मुख्यमंत्री को राज्यपाल का अपमान नहीं करना चाहिए था. यदि राज्यपाल से कोई शिकायत है तो उन्हें राष्ट्रपति से शिकायत करनी चाहिए थी. वह राष्ट्रपति से कह सकती थीं कि उन्हें राज्य के वर्तमान राज्यपाल से समस्या है. मुख्यमंत्री को अपने पद के साथ राज्यपाल के पद की भी मर्यादा रखनी चाहिए थी.
राज्यपाल ने मुझे फोन पर धमकी दी. जिस तरह से उन्होंने भाजपा का पक्ष लेते हुए बात की, उससे मैंने अपमानित महसूस किया. एक बार तो मैंने मुख्यमंत्री पद छोड़ने की सोची. ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री
बोले दिलीप घोष, राज्यपाल को सीएम से पूछने का अधिकार
किसी भी राज्य में अगर कोई अप्रिय घटना या गंभीर समस्या होती है तो राज्यपाल को मुख्यमंत्री से पूछने का अधिकार है. यह कहना है प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष का. उन्होंने कहा कि उत्तर 24 परगना में भय का माहौल है. लोग घर छोड़ कर भाग रहे हैं. ऐसे हालात में लोग राज्यपाल से गुहार लगायेंगे तो वह मुख्यमंत्री से इस बारे में पूछेंगे ही. लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है. राज्यपाल ने भी उनसे यही पूछा था कि लोग अपना घर छोड़ कर क्यों भाग रहे हैं. इसमें अपमान की क्या बात है.